
जूनियर डॉक्टर पर है जिनसे इमरजेंसी संभलती नहीं, इसलिए बच्चों के इलाज में भी दिक्कत आ रही है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
बच्चे तो बच्चे होते हैं, कब क्या कर जाए कहना मुश्किल है, अक्सर उनकी नादानियां उन्हीं के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है। ऐसा ही कुछ होने के बाद अब बच्चे सिम्स में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे ।एक ही रात दो अलग-अलग घटनाओं में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को इलाज के लिए सिम्स में भर्ती कराया गया है। सरकंडा क्षेत्र के ग्राम खमतराई में बच्चों ने खेल खेल में गर्भनिरोधक गोलियां खा ली। बच्चों को लगा कि यह कोई टॉफी है, लेकिन इस खतरनाक टेबलेट के खाने के कुछ देर बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी । बच्चों की हालत बिगड़ने पर उन्हें सिम्स में भर्ती कराया गया। दवा के रिएक्शन की वजह से बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है ,वहीं दूसरी घटना बिल्हा के ग्राम धमनी की है। जहां शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में पढ़ने वाले करीब 8 बच्चों ने खेल खेल में रतनजोत का सेवन कर लिया। इसके बाद बच्चों को उल्टी होने लगी । स्कूल प्रबंधन तुरंत इसकी सूचना परिजनों को दी और संजीवनी 108 की मदद से बच्चों को बिलासपुर के सिम्स में भेजा गया। जिन बच्चों ने रतनजोत को मूंगफली समझ कर खा लिया था उनकी उम्र मात्र 4 से 8 साल के बीच है।जिन बच्चों का इलाज चल रहा है उनमें सूर्य सूर्यवंशी सृष्टि सूर्यवंशी, निशा सूर्यवंशी ,हिना शालिगराम, प्रतीक्षा, काजल सूर्यवंशी, और शिखर शामिल हैं। यह सभी बच्चे सोमवार को स्कूल गए हुए थे। दोपहर को खेल की छुट्टी के दौरान बच्चों को रतनजोत का बीज नजर आया जिसे बच्चों ने मूंगफली समझ कर खा लिया। कुछ ही घंटे में बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए सिम्स लाया गया लेकिन सिम्स में भी तबादले के बाद अच्छे चिकित्सक नहीं बचे हैं इसलिए बच्चों का तुरंत बेहतर इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया । लोग दबी जुबान से कह रहे हैं कि सिम्स के अधीक्षक बी पी सिंह के कार्यकाल में सिम की व्यवस्थाएं बेहतर होने लगी थी, लेकिन उनका ट्रांसफर कर दिया गया। सीनियर डॉक्टर की गैरमौजूदगी में जिम्मेदारी जूनियर डॉक्टर पर है जिनसे इमरजेंसी संभलती नहीं, इसलिए बच्चों के इलाज में भी दिक्कत आ रही है।