
डेस्क
दिल्ली वाले साहब यानि प्रोफ़ेसर प्रभु दत्त खेरा के अस्थि फूल का विसर्जन गुरुवार को पावन नर्मदा मे किया गया। अपना पूरा जीवन लमनी और अचानक मार के जंगलों में बसने वाले आदिवासी परिवारों के शिक्षा, स्वास्थ्य और तरक्की के लिए अर्पित करने वाले प्रोफेसर खेरा का संबंध आदिवासियों से पिता-पुत्र की तरह था। उन्हें मुखाग्नि देने वाले सुनील जायसवाल ने अंतिम समय तक उनकी खूब सेवा की। इसी कारण आजीवन अविवाहित रहे प्रोफेसर पी डी खैरा के पुत्र की भूमिका सुनील जायसवाल ने हीं अदा की 2 दिन पहले उनकी अंत्येष्टि में मुखाग्नि देने वाले सुनील जयसवाल ने तीसरे दिन अस्थि संचय एवं अस्थि विसर्जन की विधि संपन्न की। उनके साथ बिलासपुर से कांग्रेस प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव, , महेश दुबे और अन्य कांग्रेसी नेता भी शामिल हुए। लामनी में अंत्येष्टि स्थल से विधि विधान के साथ अस्थि फूल का संचय किया गया और फिर अमरकंटक पहुंचकर मां नर्मदा की प्रवाह में उन्हें विसर्जित कर दिया गया।
अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र में अर्पित करने वाले प्रोफेसर प्रभु दत्त खेरा यहां के कण-कण में समा गए। इसीलिए उनकी अस्थियां भी इसी क्षेत्र में प्रवाहित की गई ताकि वे प्रकृति में हमेशा जीवित रहे। वहीं उनकी अंत्येष्टि की राख को लमनी और केंवची के आसपास मौजूद नदी और नालों में विसर्जित किया गया। बिलासपुर से भी बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक लमनी और अमरकंटक पहुंचे थे। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने ऐलान किया कि आगामी पितृ मोक्ष अमावस्या 28 सितंबर को लमनी ग्राम में विधि विधान के साथ क्रिया कर्म और पिंडदान की विधि संपन्न कराई जाएगी एवं शांति भोज का आयोजन किया जाएगा । प्रो खेरा का बच्चों और कन्याओं से विशेष लगाव था । वे हर दिन अपनी झोली में चना, मुर्रा, बिस्किट लेकर बैरियर के पास बच्चों को बांटने बैठ जाते थे। इसीलिए 28 सितंबर को विशेष तौर पर बच्चों और कन्याओं के लिए भोजन का आयोजन किया जाएगा।