
यह बुराई केवल निम्न और मध्यम वर्ग में ही नहीं बल्कि उच्च वर्ग में भी अपना प्रभाव जमाए हुए हैं

सत्याग्रह डेस्क
आम धारणा है कि अगर बेटी पढ़ लिख कर सेटल हो जाएगी तो फिर दहेज की समस्या नहीं रहेगी ।वहीं अधिकांश लोगों को यह भी लगता है कि भारी-भरकम दहेज देकर दहेज लोभिओं को संतुष्ट किया जा सकता है। यह दोनों ही धारणाएं गलत है और यह बात एक बार फिर साबित हुई , जब बिलासपुर की एक महिला चिकित्सक को उसके ससुराल वालों ने दहेज के लिए परेशान किया । बिलासपुर दयालबंद में रहने वाली डॉक्टर हरविंदर कौर का विवाह कानपुर के मनप्रीत सिंह से हुआ था। मनप्रीत प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। दोनों का विवाह 7 मई 2018 को हुआ था। उस दौरान डॉक्टर हरविंदर के पिता ने अपनी बेटी को दहेज में तमाम सामान के साथ आई 10 कार भी दिया लेकिन ससुराल पक्ष को यह कार पसंद नहीं आई और शादी के अगले ही दिन से कार को लेकर खटपट शुरू हो गई। महिला डॉक्टर के ससुराल वालों ने दहेज में मिली आई 10 कार को लौटा दिया और उसके बदले होंडा सिटी कार और 50 लाख रुपए की मांग करने लगे ।

इसी के साथ डॉक्टर हरविंदर कौर को प्रताड़ित करने का सिलसिला भी शुरू हो गया। इस कारण यह शादी कुछ ही महीने चली और प्रताड़ना से तंग आकर हरविंदर कौर ने 4 जनवरी 2018 को अपने ससुराल पक्ष के खिलाफ महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। मनप्रीत के अलावा सुरजीत कौर, महेंद्र सिंह, पुनीत कौर ,राजेंद्र सिंह छाबड़ा के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।लंबे अरसे तक पुलिस ने मामले को लटकाए रखा। देर से सही पुलिस महिला डॉक्टर की ननद को गिरफ्तार करने कानपुर गई ।जहां से पुनीत कौर छाबड़ा को गिरफ्तार किया गया। लेकिन मामले के अन्य आरोपी फरार होने में कामयाब हो गए। पुनीत कौर को ट्रांजिट रिमांड में लेकर बिलासपुर लाया गया। हैरानी इस बात की है कि मामला सीधे सीधे दहेज प्रताड़ना का है ।लेकिन पुलिस आईपीसी की धारा 420 और 34 के तहत कार्यवाही कर रही है। जिसके चलते आरोपियों का आसानी से छूट जाना तय है। हैरानी इस बात की है कि महिला डॉक्टर जैसे सम्मानीय और कमाऊ पद पर होने के बावजूद डॉक्टर हरविंदर कौर को दहेज के नाम पर इस तरह प्रताड़ित किया गया। इससे एक बार फिर साबित हुआ कि दहेज़ प्रथा आज भी भारतीय समाज में कायम है और यह बुराई केवल निम्न और मध्यम वर्ग में ही नहीं बल्कि उच्च वर्ग में भी अपना प्रभाव जमाए हुए हैं।