सत्याग्रह डेस्क
चिकित्सकीय सेवा कि जब भी बात की जाती है तो आम ध्यान सिर्फ डॉक्टर्स पर जाता है ,लेकिन मेडिकल सर्विस में नर्सिंग स्टाफ की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर वर्ष छत्तीसगढ़ में ही करीब 42 सौ मौतें ट्रामा के कारण होती है। जिनमें 70%, 45 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोग होते हैं ।अगर इन्हें सही वक्त पर कुशल पैरामेडिकल स्टाफ की सेवा मिल जाए उनकी जान बच सकती है।
इसी से पैरामेडिकल स्टाफ के महत्व को समझा जा सकता है। यही वजह है कि बिलासपुर अपोलो के साथ मिलकर इमरजेंसी मेडिकल इंडिया सेमाई छत्तीसगढ़ चैप्टर द्वारा अपोलो बिलासपुर के साथ मिलकर बिलासपुर के एक निजी होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। nurisicon 2019 में करीब 200 नर्सों ने भाग लिया। सेमाई, बिलासपुर अपोलो के साथ मिलकर “सपोर्टिंग लाइफस्, एनीटाइम, एनीव्हेयर “पर काम कर रहा है, जिसके तहत अब तक सैकड़ों लोगों को प्रशिक्षित किया गया है । खासकर नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ पर सेमाई अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में उत्पन्न होने वाले तमाम बीमारियों में इन्हीं पैरामेडिकल स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है । आमतौर पर सिमट रहे परिवारों में सदस्यों की कमी होती है और घर पर, सड़क पर या अस्पताल पहुंचने पर भी सबसे पहले इन्हीं प्रशिक्षित कर्मचारियों से मरीज का सामना होता है ।
अगर ये सही ढंग से प्रशिक्षित हो तो फिर मरीजों की जान आसानी से बचाई जा सकती है। यही वजह है कि बिलासपुर अपोलो भी सेमाई के साथ मिलकर प्राथमिक चिकित्सा और जीवन रक्षक पाठ्यक्रमों पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। वैसे भी अपोलो पिछले 18 वर्षों से जीवन रक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। अब तक करीब साढे तीन लाख आपात स्थितियों का इलाज अपोलो में किया जा चूका है।
यही वजह है कि शनिवार को सेमाई के साथ मिलकर बिलासपुर अपोलो ने नर्स के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। जिससे कि वे अनुभवी नर्सों से सीख कर खुद को और बेहतर बना सकें। सम्मेलन में सेमाई के डॉक्टर नरेंद्र नाथ जेना ने अपने संबोधन में 5 T यानी टच, टॉक ट्रीट, टुगेदर्नेस और टीम वर्क पर जोर देते हुए कहा की सफल इलाज की यही कुंजी है । सेमाई द्वारा अब तक 500 से अधिक पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिसमें लाइव सेवर कोर्स BLS, ACLS और PASS शामिल है । इस कार्यशाला में सेमाई के डॉक्टर नरेंद्र नाथ जेना के अलावा बिलासपुर अपोलो के सीईओ डॉ सजल सेन, डॉ हेमंत चटर्जी, डॉ कल्पना दाश, डॉ मनोज राय, डॉक्टर पी पी मिश्रा, डॉ ए बी भट्टाचार्य और नर्सिंग ऑफ़ इमरजेंसी की इंचार्ज मिस लिंसी बिनू शामिल हुए, जिन्होंने पत्रकारों के साथ चर्चा करते हुए बताया कि दुर्घटना के दौरान 80% मरीजों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है। ऐसे में अगर उन्हें सही वक्त पर ट्रेंड पैरामेडिकल स्टाफ की सेवा मिले तो फिर उनकी जान बच सकती है।
अधिकांश मौकों पर शुरुआती कुछ मिनट बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में चिकित्सक मौजूद ना होने पर पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, लेकिन अगर वे सही ढंग से प्रशिक्षित ना हो तो फिर मरीज की जान जा भी सकती है। इसी वजह से नर्स और स्टूडेंट नर्स को भी यहां प्रशिक्षित किया गया। वर्तमान दौर में सभी बीमारियों में नर्सिंग स्टाफ की अहमियत बढ़ती जा रही है । डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्सिंग स्टाफ, मरीज की जान बचा सके इसके लिए उन्हें बेहतर ढंग से तैयार किया जा रहा है। शनिवार की इस कार्यशाला में राज्य भर से करीब 200 नर्स शामिल हुई। इस दौरान यह बात भी निकल कर आई कि इमरजेंसी मेडिसिन को लेकर सरकार भी उतनी गंभीर नहीं है जितना की उन्नत देशों में है। दरअसल हेल्थ केयर एक टीम वर्क है और इसमें सब का योगदान महत्वपूर्ण होता है। केवल अच्छे अस्पताल और बेहतर डॉक्टर से ही मरीज की जान नहीं बच सकती, इसके लिए प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ और नर्स की भी उतनी ही आवश्यकता होती है और NURISICON 2019 में यही कोशिश की गई कि इसमें शामिल होने वाली नर्स और भी बेहतर और भी निखर कर सामने आए।