आकाश दत्त मिश्रा
मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है लेकिन आज भी इंसानी खून का कोई विकल्प नहीं है। सैकड़ों ऐसी बीमारियां हैं जिसमें मरीज को खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि अगर सही समय पर मरीज को खून ना मिले तो फिर उसकी जान भी जा सकती है। लेकिन आम तौर पर भारत में स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर अधिक जागरूकता नजर नहीं आती। बमुश्किल 50% जरूरत ही पूरी हो रही है । इसमें भी रक्त बेचने वालों की संख्या शामिल है। लोगों में भ्रम की भी कमी नहीं है । कई लोगों को लगता है कि रक्तदान करने से उनमें शारीरिक कमजोरी आ जाती है। खासकर गर्मी के मौसम में रक्त दान नहीं करना चाहिए। इसी सोच की वजह से हर साल गर्मी के मौसम में ब्लड बैंक में खून की भारी कमी आ जाती है। मुंगेली भी इसका अपवाद नहीं है।
मुंगेली के जिला अस्पताल में वैसे तो हर वक्त खून की कमी रहती है लेकिन गर्मी के इस मौसम में हालात और भी चिंताजनक हो जाते है । यहां हर दिन कम से कम 15 से 20 यूनिट खून की आवश्यकता पड़ती है । इस कमी को दूर करने के लिए मुंगेली की जागरूक स्वयंसेवी संगठन के टी ग्रुप ने नागरिकों के सहयोग से रक्तदान शिविर का आयोजन किया। मुंगेली के युवा पीढ़ी द्वारा बनाई गई के टी ग्रुप द्वारा अक्सर सामाजिक सरोकार से संबंधित ऐसे ही प्रयोजनों में अपनी भागीदारी निभाई जाती है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक को मजबूत करने के मकसद के साथ यहां आयोजित रक्तदान शिविर में 29 रक्त दाताओं ने रक्तदान कर अपनी जिम्मेदारी का परिचय दिया ।
वैसे एक यूनिट खून के चार हिस्से कर अलग अलग जरूरतमंद मरीजों को उसे चढ़ाया जा सकता है , यानी एक यूनिट रक्तदान से कोई भी 4 मरीजों की जान बचायी जा सकती है । इस नेक मकसद के साथ आयोजित रक्तदान शिविर में हालांकि पहली बार 29 लोगों ने ही रक्तदान किया लेकिन इसके साथ मुंगेली में रक्तदान के प्रति जागरूकता आनी शुरू हो गई है। के टी ग्रुप के सदस्यों के अलावा यहां पहुंचे गणमान्य नागरिकों ने भी रक्तदान के लिए सभी वर्गों से आगे आने का आह्वान किया है । के टी ग्रुप द्वारा कराएगा रक्तदान से प्राप्त रक्त को जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में सुरक्षित रख दिया गया है ,जिसे जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा । वहीं इस रक्तदान शिविर की सफलता से उत्साहित के टी ग्रुप द्वारा लगातार इस बात पर भी निगरानी रखी जाएगी कि शिविर में प्राप्त खून किन मरीजों को प्रदान किया जा रहा है। मुंगेली की आबादी भी तेजी से बढ़ रही है और उसी के साथ खून की जरूरत थी बड़ी है। ऐसे में अगर स्वैच्छिक रक्तदाता आगे नहीं आए तो फिर खून की मारामारी तो होनी ही है। वैसे भी अगर 4 महीने तक रक्तदान नहीं किया जाता है तो भी रक्त स्वयं ही नष्ट हो जाता है और रक्तदान के बाद 21 दिन में दान किया गया रक्त तेजी से बन भी जाता है। रक्तदान करने से रक्त दाता को कई बीमारियों के होने की आशंका भी नहीं रहती। इसलिए रक्तदान करना मरीजों के लिए ही नहीं रक्त दाताओं के लिए भी अच्छी बात है, इसलिए रक्तदान कीजिए, आपको भी अच्छा लगेगा!!