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संत शिरोमणी नामदेव महाराज ने भक्तिमार्ग के द्वारा राष्ट्र को एक सुत्र में पिरोनों का महान कार्य किया तथा वे भक्ति की अलख जगाई। उक्त उद्गार ज्वाला प्रसाद नामदेव ने श्रीराम सहाय दर्जी मंदिर गोड़पारा स्थित संत नामदेव मंदिर एवं संत नामदेव भवन नूतन कॉलोनी चौक सरकंडा में आयोजित संत नामदेव जी के निर्वाण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही।
श्री नामदेव ने संत नामदेव जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत नामदेव जी बिसोबा खेचर जी से दीक्षा ग्रहण की जो पंडरपुर के भगवान बिठ्ठल की प्रतिमा में ही भगवान को देखते थे वे खेचर जी के सम्पर्क में आने के बाद उसे सर्वत्र अनुभव करने लगे तथा उनको प्रेमा भक्ति में ज्ञान का समावेश हो गया। संत नामदेव जी देश अनेक राज्यों में भ्रमण एवं तीर्थ यात्रायें की वे साधु संतों के साथ भ्रमण करते रहे संत नामदेव जी के अनेक चमत्कार आज भी विराजमान है। संत नामदेव जी 3 जुलाई 1350 को परिवार के 13 सदस्यों के साथ भगवान बिठ्ठल पंडरपुर में मंदिर के चौखड़ में सजीवन समाधी लेकर मोक्ष प्राप्त किया।
श्री नामदेव ने कहा कि तब से आज के दिन संत नामदेव जी को मानने वाले उनके अनुयायी देश में एवं विदेश में संत नामदेव जी के समाधी दिवस पर संत नामदेव जी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाते है।
इस मौके पर शिवशंकरलाल वर्मा, शिवकुमार वर्मा एवं एनपी नामदेव ने भी संत नामदेव जी के जीवन पर विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि संत नामदेव जी पंडरपुर के भगवान बिठ्ठल जी के मंदिर में जाने वाली सीढ़ियों जिसे मराठी में पायरी कहते है द्वार में ही समाधी ली। उनकी इच्छा थी कि हरि बिठ्ठल के दर्शनार्थ जो भी भक्त मंदिर में प्रवेश करे तब उनकी रज कण मेरे माथे पर पड़े और वे श्री भगवान बिठ्ठल के दर्शन करें आज भी वह स्थान श्री नामदेव पायरी के नाम से जाना जाता है।
इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित स्वजातीय बंधुओं ने संत नामदेव जी भगवान बिठ्ठल एवं देवी रूक्मणी जी की पूजा अर्चना आरती की इस दौरान संत नामदेव जी के जीवन को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ज्वाला प्रसाद नामदेव, शिव कुमार वर्मा, शिवशंकरलाल वर्मा, उमाशंकर श्रीवास्तव, एनपी नामदेव, लखनलाल नामदेव, कौशल नामदेव, गणेश नामदेव, राजेन्द्र नामदेव, संतोष नामदेव, उमेश नामदेव, राजेश्वर नामदेव, चंदन श्रीवास्तव, राजकुमार चौधरी, आलेख वर्मा, श्रीमती मीना श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में नामदेव समाज के लोग मौजूद थे।