
दिनभर जहां स्नान और पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ नजर आती है तो वहीं शाम के बाद मेले का आनंद लेने लोग बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
कभी भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, कहते थे यहां दूध और घी की नदियां बहती थी। अगर दूध और घी की नदियां हो सकती है तो फिर यह मानने में परेशानी नहीं होनी चाहिए कि कोई तालाब घी से भी बना हो सकता है । प्राचीन किंवदंतियों में ऐसे ना जाने कितनी कथाएं हैं ।जनश्रुतियो से चल कर यह कथाएं आस्था में परिवर्तित हो चुके हैं और आस्था के आगे तर्क की कोई बिसात नहीं होती ।ऐसा ही एक आस्था का केंद्र है मोपका मुख्य मार्ग पर स्थित तालाब। तालाब का नाम है घी कुंड ।ग्रामीणों का मानना है कि तालाब सैकड़ों वर्ष पुराना है और इसकी धार्मिक मान्यता भी है। इस प्राचीन तालाब से अक्सर देवी देवताओं की प्रतिमाएं प्राप्त होती है, जिन्हें तालाब के किनारे बने मंदिरों और पेड़ों के नीचे स्थापित किया गया है। यहां श्री नागेश्वर मंदिर भी है ।आम दिनों में यह तालाब ग्रामीणों की निस्तारित का साधन है और इसके लिए महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग घाट बने हुए हैं ।

लेकिन इस तालाब के साथ एक अद्भुत मान्यता भी जुड़ी हुई है। ग्रामीणों के साथ ढेरों श्रद्धालुओं का यह मानना है कि इस तालाब में डुबकी लगाने से कैसा भी असाध्य चर्म रोग क्यों ना हो उस से मुक्ति मिल जाती है । इसी मान्यता को लेकर वर्षभर लोग दूर-दूर से तालाब में डुबकी लगाने आते हैं और अपने साथ तालाब का पवित्र जल लेकर लौटते हैं। हर साल की तरह इस बार भी माघी पूर्णिमा पर यहां मेला भरा है । छत्तीसगढ़ी परंपराओं में पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष महत्व है। पर्व और मेले उन्हीं तिथियों मनाए जाते हैं ,लगते हैं । इसी तरह माघी पूर्णिमा के आसपास यहां मेला लगता है। इन दिनों घीकुंड तालाब के पास मेला पूरे शबाब पर है। सड़क के दोनों ओर तरह-तरह की दुकानें सज चुकी है ,जिसमें खेल खिलौने, श्रृंगार प्रसाधन से लेकर खाने पीने की वस्तुएं, कपड़े और ना जाने क्या कुछ बिक रहे हैं ।

मेला देखने पहुंच रहे ग्रामीण इन दुकानों में जमकर खरीदारी कर रहे हैं। साथ ही पवित्र तालाब में स्नान कर चर्म रोगों से मुक्ति की कामना भी की जा रही है । तालाब के किनारे मौजूद श्री नागेश्वर मंदिर और शिव मंदिर में श्रद्धालु पूजा अर्चना कर रहे हैं ।मुख्य मार्ग पर तालाब के मौजूद होने और सड़क के किनारे दुकान लगने से शाम के वक्त यहां भारी भीड़ सड़क पर नजर आ रही है, लेकिन इसी दौरान एनटीपीसी की ओर जाने और आने वाले भारी वाहनों से हर वक्त दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है ,लिहाजा जिला प्रशासन और यातायात विभाग को संज्ञान लेकर मेले के दौरान भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है ,ताकि यहां किसी तरह की कोई दुर्घटना ना हो ।माघी पूर्णिमा पर लगने वाले इस मेले को लेकर आसपास के ग्रामीणों में खासा उत्साह है ।दिनभर जहां स्नान और पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ नजर आती है तो वहीं शाम के बाद मेले का आनंद लेने लोग बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं।
