
उदय सिंह
सरकार की मंशा आम लोगों के समझ नहीं आ रही। करोड़ों की लागत से लाल खदान रेलवे ओवरब्रिज के बन जाने के बावजूद उसे यातायात के लिए क्यों नहीं खोला जा रहा, यह किसी को नहीं पता। पीडब्ल्यूडी का दावा है कि रेलवे के हिस्से का कुछ काम बाकी है, इस कारण से इस ओवरब्रिज को बंद कर दिया गया है, जबकि महीने भर पहले ही इसे यातायात के लिए उपलब्ध करा दिया गया था ।लगातार कई दिनों तक लोगों ने इस पर से आवाजाही भी की, लेकिन एक बार फिर इसके दोनों छोड़ पर मलबा डालकर पुल को बंद कर दिया गया है।
लिहाजा लोगों को या तो लाल खदान रेलवे फाटक पर घंटों इंतजार करना पड़ता है या फिर बाईपास रोड से आवाजाही करनी पड़ती है। बरसात के इस मौसम में बाईपास सड़क कीचड़ में तब्दील हो चुकी है। जगह-जगह गड्ढे में पानी भर चुके हैं और कच्ची सड़क आने-जाने लायक नहीं रह गई है।
फिर भी लोग मजबूरी में इसी पर से आना जाना कर रहे हैं और यही कारण है कि हर रोज यहां दुर्घटनाएं हो रही है। जर्जर और कच्चे रास्ते पर आवाजाही का खामियाजा एक बार फिर भोगना पड़ा। मंगलवार सुबह यहां से गुजर रही एक कार अनियंत्रित होकर तालाब में जा घुसी और पलट गई ।कार में 5 लोग सवार थे। इस दुर्घटना के बाद यहां हाहाकार मच गया। आसपास के लोग भागे भागे आए और किसी तरह कार में फंसे 5 लोगों को बाहर निकाला।
लोगों की तत्परता से हालांकि पांच जाने बच गई लेकिन हर कोई इतना सौभाग्यशाली नहीं है। यहां जिस तरह से रोज दुर्घटनाएं हो रही है उससे किसी की भी जान जाने की आशंका बनी हुई है, फिर भी इसकी चिंता ना तो रेलवे को है और ना ही पीडब्ल्यूडी विभाग को। मंत्रियों को इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह समय निकाल कर इस पुल का उद्घाटन कर दे। औपचारिक उद्घाटन के लिए समय नहीं निकाल पाने के कारण करोड़ों की लागत से बना पुल सफेद हाथी साबित हो रहा है ।इसका कोई उपयोग जनता नहीं कर पा रही, लिहाजा लोगों का गुस्सा प्रशासन पर फूट रहा है ।स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इसे लेकर पूरी तरह खामोश है। करोडो की लागत से बना पुल उद्घाटन ना होने से किसी काम का साबित नहीं हो रहा।