
संजोग से बड़ा मामला उजागर
बिलासपुर आलोक अग्रवाल
हावड़ा- हापा एक्सप्रेस के एसी कोच अटेंडर के कारनामे का खुलासा सिर्फ आरपीएफ की शक की वजह से हुआ। एसी कोच अटेंडेंट ठेकेदार के अंतर्गत निजी कर्मचारी होते हैं और उनकी जिम्मेदारी केवल यात्रियों को सुविधा देने की होती है ।उन्हे सामानों के परिवहन का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन फिर भी नियमों की धज्जियां उड़ा कर यह कर्मचारी कुरियर बॉय बनकर पार्सल इधर से उधर लाने ले जाने का काम करते हैं ।हापा एक्सप्रेस में ऐसे ही एक अटेंडर के पास टेप से पूरी तरह पैक्ड बॉक्स देखकर चांपा के करीब आरपीएफ की स्कोर्टिंग टीम को संदेह हुआ और अटेंडर शोभित मुदलियार से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उस बॉक्स में दवाइयां है जिसे हावड़ा में एक व्यक्ति ने उसे यह कह कर दिया है कि इसे रायपुर पहुंचाने के लिए उसे 200 रूपए दिए जाएंगे ।अटेंडर की बातों से पार्टी को तसल्ली नहीं हुई इसलिए पैकेट को खोलने के लिए कहा गया ।पैकेट खुलते ही आरपीएफ और अटेंडर दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई ,क्योंकि उस पैकेट में72 सोने की चूड़ियां चमक रही थी । पैकेट में कुछ कागजात भी मौजूद थे जिसमें टैक्स इनवॉइस पेपर भी था।
इन्ही कागजो में एक कागज जे आर ज्वेलर्स सदर बाजार रायपुर के नाम का भी था ।आरपीएफ ने संदेह के आधार पर चूड़ियों को जप्त कर लिया। अटेंडर के पास से जप्त सोने का वजन करीब 973 ग्राम है जिसकी अनुमानित कीमत 30 लाख रुपये बताई जा रही है ।अटेंडर को बिलासपुर पहुंचने पर आरपीएफ के हवाले कर दिया गया ।जाहिर है 200 रुपये की लालच में अटेंडर शोभित मुदलियार को जेल की हवा खानी पड़ रही है तो वही टैक्स बचाने किसी ने शोभित पर भरोसा किया और लाखों का नुकसान उठाना पड़ा ।जप्त चूड़ियों के पीछे की असली कहानी क्या है और फिर क्या मामला तस्करी या टैक्स चोरी का है यह खुलासा तो जांच के बाद ही होगा। फिलहाल आरपीएफ इसे अपनी बड़ी कामयाबी बता रही है वहीं इस कार्यवाही के दौरान आरपीएफ और जीआरपी के बीच भी टकराहट की स्थिति देखी गई। जीआरपी का आरोप है कि उसे ऐसे प्रकरण में आरोपी और जप्त गहने को 24 घंटे तक अपने पास रखने का कानूनी अधिकार नहीं है और उसने नियमों का उल्लंघन किया है।