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रतनपुर में स्थित खारंग जलाशय खुटाघाट बांध में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद है जो अक्सर मुख्य बांध से बाहर निकलकर नहरों के रास्ते ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा इस शनिवार भी नजर आया। सुबह सुबह ग्रामीणों ने नहर में एक मगरमच्छ को देखा। संभावित खतरे को देखते हुए उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दे दी, लेकिन 4 घंटे बीत जाने के बाद भी वन विभाग से न तो कोई अधिकारी और ना ही कोई कर्मचारी मौके पर पहुंचा ।
लिहाजा ग्रामीण खुद मगर को पकड़ने के इरादे से नहर में उतर गए । बताया जा रहा है सुबह सुबह करीब 5:00 बजे नहर में नहाने गई महिलाओं ने सबसे पहले मगरमच्छ को देखा। जिसकी सूचना उन्होंने अपने परिजनों को दी। इसके बाद लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दे दी लेकिन रतनपुर डिप्टी रेंजर और रेंजर मौके पर नहीं पहुंचे। इसके बाद ग्रामीणों ने सुबह करीब 9:00 बजे खुद ही नहर में उतर कर मगर को पकड़ने का निर्णय लिया। कुछ कोशिशों के बाद उन्होंने मगर को पकड़कर नहर से बाहर भी निकाल लिया और रस्सी से बांध दिया। लेकिन इसी दौरान ताकतवर मगर ने खुद को रस्सी से छुड़ा लिया और वापस नहर में चला गया।
जिसके बाद दोबारा ग्रामीण मगर को पकड़ने नहर में उतर गए। इसी दौरान वन विभाग के कर्मचारी भी वही पहुंच गए और ग्रामीणों की मदद से जाली की सहायता लेते हुए आखिरकार मगरमच्छ को पकड़ लिया गया, जिसे वापस खुटाघाट मुख्य डैम में छोड़ दिया गया। मगर को सुरक्षित डैम में पहुंचा देने के बाद वन विभाग और ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। इस दौरान वन विभाग के कर्मचारियों की मदद श्याम रतन कश्यप,, बिशेस्वर श्रीवास, गया राम , राम फल यादव, प्रकाश सांडा, दीपक यादव ने की। मगरमच्छ के रेस्क्यू को देखने बड़ी संख्या में ग्रामीण यहां इकट्ठा हो गए थे। अक्सर मगरमच्छ इसी तरह से बांध से निकलकर कभी सड़क पर तो कभी तालाबों में नजर आते हैं जिससे यहां कभी कोई दुर्घटना भी घट सकती है लेकिन फिलहाल इंसान और मगर के बीच तनाव जैसी कोई स्थिति नहीं है और दोनों का सह अस्तित्व एक साथ यहां कायम है।