
मोदी मैजिक तो है ही, उसके साथ अगर प्रत्याशी भी दमदार हो तो फिर जीत की संभावना बढ़ जाती है और इस बार भारतीय जनता पार्टी दूध की जली हुई है, इसलिए फूंक फूंक कर प्रत्याशियों का चयन तो किया ही जाएगा, यह भी तय है।

आकाश दत्त मिश्रा
पुलवामा हमले के बाद एक तरफ जहां देश भर में पाकिस्तान और अलगाववादियों को लेकर गुस्सा है, वही भाजपा के लिए जनसमर्थन बढा है। विधानसभा चुनाव में पार्टी की प्रदेश में बड़ी हार के बावजूद मौजूदा घटनाक्रम के बाद बदले माहौल ने पार्टी को को संजीवनी देने का काम किया है ,इसलिए एक बार फिर से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारों की फौज खड़ी हो रही है ।27 तारीख को केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी क्लस्टर कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंच रहे हैं, इस दौरान दावेदार अपना दावा पेश कर सकते हैं ।बिलासपुर लोकसभा सीट के लिए भी कड़ा संघर्ष नजर आ रहा है ।पहले से ही यहां अमर अग्रवाल, लखनलाल साहू, धरमलाल कौशिक जैसे कई नाम चर्चा में थे तो वहीं अब पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के भी बिलासपुर सीट से ही लड़ने की अटकलें तेज होने लगी है । लेकिन इसी बीच मुंगेली से एक और दावेदार तेजी से उभर रहा है। छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले मौजूदा जिला मंत्री मिथिलेश केशरवानी की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है क्योंकि उनके लिए केशरवानी समाज पार्टी से टिकट की मांग कर रहा है ।

15 जनवरी को भाटापारा में हुए संपन्न केशरवानी वैश्य सभा की प्रादेशिक बैठक में भी एक राय होकर यह निर्णय लिया गया कि समाज मिथिलेश केशरवानी को बिलासपुर लोकसभा से टिकट देने की मांग करेगा। सर्व वैश्य सामाजिक राजनीतिक जागरण सम्मेलन और अन्य मंचों से भी लगातार ऐसी ही मांग की जा रही है। इसके पीछे दावा यह किया जा रहा है कि बिलासपुर लोकसभा सीट वैश्य बाहुल्य सीट है और यहां वैश्य मतदाताओं की संख्या करीब 6 लाख है। मिथिलेश केशरवानी को टिकट देने और उनकी सुनिश्चित जीत के पीछे तर्क यह भी दिए जा रहे हैं कि यहां से समाज के प्रत्याशी को हमेशा कामयाबी मिली है ,चाहे वह पूर्व सांसद स्वर्गीय निरंजन प्रसाद केशरवानी हो, या फिर विधायक डॉ भानु गुप्ता या मानिक लाल गुप्ता और सत्यनारायण केशरवानी हो। प्रदेश का एकजुट केशरवानी समाज इस बात का यकीन दिला आ रहा है कि अगर मिथिलेश केशरवानी को भारतीय जनता पार्टी टिकट देती है तो पूरा समाज तन मन धन से उन्हें जिताने में पूरे समर्पण से काम करेगा। इस तरह के समर्थन के कई आवेदन पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी भेजे गए हैं। मुंगेली से एक बार फिर बिलासपुर लोकसभा सीट के प्रत्याशी का दावा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि पिछले बार भी पार्टी ने जिस प्रत्याशी पर दांव खेल कर सफलता पाई थी वह लखनलाल साहू भी मुंगेली से ही थे। यानी मुंगेली क्षेत्र के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित होती है ।इस कड़ी में पुन्नूलाल मोहले को भला कैसे भूला जा सकता है। मुंगेली के काली माई वार्ड में रहने वाले मिथिलेश केशरवानी एक तरफ जहां अपने मिलनसार और बेदाग छवि के लिए जाने जाते हैं वही राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में उनकी सक्रिय भागीदारी भी उनके दावे को मजबूत करती है। साल 2011 से सक्रिय मिथिलेश द्वारा कई सफल आयोजनों को अंजाम दिया गया जिनमें कई जन आंदोलन भी शामिल है ।छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कोषाध्यक्ष, संयोजक और सह सचिव की जिम्मेदारी निभाने वाले मिथिलेश भाजयुमो में साल 2007 से 2018 तक नगर मंडल महामंत्री रहे हैं ।वहीं 2016 के बाद उन्होंने नगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली और वर्तमान में भी वे जिला मंत्री हैं। युवा, तेजतर्रार ईमानदार और लोकप्रिय छवि उनकी विशेषता है। सामाजिक कार्यों में भी मिथिलेश बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाते देखे जाते हैं। मिथिलेश तरुण युवा सभा के सचिव अध्यक्ष रहे है और मौजूद प्रदेश अध्यक्ष भी हैं । करीब 6 लाख मतदाताओं वाला समाज अगर एक राय होकर मिथिलेश के लिए आवाज बुलंद करता है तो फिर इस आवाज को नजरअंदाज करना पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए भी आसान नहीं होगा। वैसे भी भारतीय जनता पार्टी नए चेहरों को आजमा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों पर दांव खेलने से तो कहीं बेहतर होगा नए बेदाग छवि वाले प्रत्याशियों पर भरोसा किया जाये।

शायद इसीलिए मुंगेली के मिथिलेश केशरवानी की दावेदारी अहम मानी जा रही है और पार्टी के भीतर खाने में उनके नाम पर सहमति बनने की बात भी निकल कर आ रही है। देखना दिलचस्प होगा की लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में ही बिलासपुर सीट के लिए प्रत्याशी का चुनाव किन गुण दोषों के आधार पर किया जाता है क्योंकि इसी पर जीत- हार निश्चित होगी । मोदी मैजिक तो है ही, उसके साथ अगर प्रत्याशी भी दमदार हो तो फिर जीत की संभावना बढ़ जाती है और इस बार भारतीय जनता पार्टी दूध की जली हुई है, इसलिए फूंक फूंक कर प्रत्याशियों का चयन तो किया ही जाएगा, यह भी तय है।