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रेलवे ने अपनी 100 दिन की योजना के तहत कुछ ट्रेन का संचालन निजी क्षेत्र को सौंपने की घोषणा पर अमल शुरू कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे ने फिलहाल आईआरसीटीसी को दो ट्रेन दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस और अहमदाबाद-मुंबई सेंट्रल तेजस एक्सप्रेस के संचालन की जिम्मेदारी दी है। अब इन दोनों ट्रेन का किराया तय करने से लेकर अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तक की सारी जिम्मेदारी आईआरसीटीसी ही संभालेगी। बता दें कि आईआरसीटीसी रेलवे की ही पर्यटन व खान-पान शाखा है।रेलवे बोर्ड की तरफ से तैयार कराए गए ब्लू प्रिंट के मुताबिक, आईआरसीटीसी को इन ट्रेनों की जिम्मेदारी तीन साल के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सौंपी जा रही है। सप्ताह में छह दिन चलने वाली इन ट्रेनों में रेलवे की तरफ से दी जाने वाली कोई रियायत, मासिक पास, किराया छूट या अन्य विशेषाधिकार का लाभ नहीं दिया जाएगा। साथ ही इन दोनों ट्रेन में टिकट चेकिंग की व्यवस्था भी रेलवे के बजाय आईआरसीटीसी अपने स्तर पर करेगा।हालांकि ब्लू प्रिंट में यह भी कहा गया है कि इन दोनों ट्रेनों को यूनिक नंबर दिया जाएगा और इनका संचालन रेलवे का संचालक स्टाफ लोको, पायलट, गार्ड और स्टेशन मास्टर ही संभालेंगे। लेकिन इन ट्रेनों के मेंटिनेंस और स्पेयर-पार्ट्स का खर्च आईआरसीटीसी को ही चुकाना होगा।
इन दोनों ट्रेनों में आईआरसीटीसी को शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन या उससे भी ज्यादा बेहतरीन स्तर की सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी। इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर अन्य निजी ऑपरेटरों को भारतीय रेल के संचालन के क्षेत्र में आने का मौका दिया जाएगा। इस व्यवस्था के पीछे भारतीय रेलों में विश्व स्तर की यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराने का मकसद है आईआरसीटीसी को इन दोनों ट्रेन में किराये से होने वाली आय के अतिरिक्त डिब्बों के अंदर और बाहर विज्ञापन लगाकर भी राजस्व जुटाने की अनुमति होगी। इन दोनों ट्रेनों के लिए बुकिंग भी अगले एक साल तक रेलवे पोर्टल के जरिए ही कराने का मौका मिलेगा। हालांकि इसके बाद आईआरसीटीसी को अपनी अलग टिकट वितरण तैयार करनी होगी।दोनों ट्रेनों में 18-18 डिब्बे होंगे, लेकिन पहले साल आईआरसीटीसी को न्यूनतम 12 डिब्बों की ट्रेन संचालित करने की छूट मिलेगी। इसके अलावा हर ट्रिप के लिए आईआरसीटीसी को ढुलाई शुल्क भी चुकाना होगा।भले ही ट्रेन संचालन में सभी जिम्मेदारियां आईआरसीटीसी की होगी, लेकिन किसी भी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति में इन दोनों ट्रेन के यात्रियों को मिलने वाले किसी भी प्रकार के मुआवजे की जिम्मेदारी रेलवे की ही होगी। साथ ही ट्रेन का संचालन दोबारा शुरू करने में भी रेलवे की तरफ से आईआरसीटीसी की मदद की जाएगी।