
लार्वा कंट्रोल के लिए अभी तक टेनीफाफ व डेल्टामेथिन यूएलबी 1.25 का उपयोग किया जा रहा था। अब इसके साथ बार्सेलो जीआर और कींगफॉग 1.25 यूएलबी दवा का प्रयोग किया जा रहा
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
शनिवार को नगर निगम की सामान्य सभा में भी मच्छर का मुद्दा छाया रहा। विपक्षी कांग्रेसी पार्षदों ने महापौर को घेरते हुए सवाल किया कि आखिर बिलासपुर में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर मच्छरों ने हमला क्यों किया है । इसके पीछे कांग्रेसी पार्षदों ने दावा किया कि अधूरे सीवरेज परियोजना की पाइप लाइन मच्छरों के प्रजनन केंद्र बन चुके हैं और वहीं से लाखों करोड़ों की संख्या में मच्छर शहर में पहुंच रहे हैं ,तो महापौर ने इसे खारिज करते हुए कहा कि सभी घरों में मौजूद टॉयलेट के सेप्टिक टैंक में भी मच्छरों का लार्वा पैदा होता है इसलिए इससे बचाव के लिए आम आदमी को भी आगे आते हुए सेप्टिक टैंक गैस पाइप में मच्छरदानी की जाली लगानी होगी। शहर में लंबे वक्त से साफ सफाई ना होने को भी मच्छरों के बढ़ने की वजह बताई गई तो वही महापौर किशोर राय ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने बिना सोचे समझे अरपा नदी पर चेक डैम बना दिया । कलेक्टर से निवेदन के बाद भी चेक डैम का पानी छोड़ा नहीं गया और उसी वजह से बिलासपुर में मच्छरों की संख्या बेहिसाब बढ़ रही है और शासन दवाई छिड़कने से लेकर गंबूजा मछली लाने तक की जिम्मेदारी नगर निगम को देकर पल्ला झाड़ रही है, लेकिन इधर एक खबर अच्छी है कि लगातार अलग-अलग वार्डों में मच्छरों से निपटने की कार्यवाही का कुछ तो सकारात्मक प्रभाव नजर आने लगा है।
शहर में मच्छरों पर काबू पाने हर रोज कार्ययोजना बनाकर 12 वार्डों में लार्वा कंट्रोल के लिए लिक्विड के साथ पाउडर और फागिंग भी किया जा रहा है। हर रोज लिक्विड, पाउडर व फागिंग के लिए तीन टीम बनाकर 30 कर्मचारियों को काम में लगाया गया है। इधर अरपा से जलकुंभी निकालने छठ घाट व कतियापारा मोपकानाका में 100 कर्मचारी और दो एक्सीवेटर लगाकर सफाई कराई गई।
मच्छर पर काबू पाने लगातार अभियान चलाया जा रहा है। नए सिरे से बनाए गए रोस्टर में अब हर रोज 12 वार्डों को कवर किया जाएगा। शनिवार को वार्ड क्रमांक 8 गुरुघासीदास नगर जरहाभांठा, वार्ड क्रमांक 18 विनोबा नगर, शिव मंदिर, वार्ड क्रमांक 38 गुजराती भवन के पास टीकरापारा, वार्ड क्रमांक 48 भारत चौक चिंगराजपारा, वार्ड 59 शिवघाट माताचौरा पुराना सरकंडा, वार्ड क्रमांक 21 निराला नगर मशानगंज, वार्ड क्रमांक 22 मशांनगंज आजाद नगर, वार्ड क्रमांक 23 सिम्स हास्पिटल, रामनगर, संतोष भोजनालय, वार्ड क्रमांक 27 कल्लू बाड़ा, लाजपत राय नगर, वार्ड क्रमांक 12 मंझुआपारा मदर टेरेसा, वार्ड क्रमांक 3 एमआईजी 67, 68 नेहरू नगर, वार्ड क्रमांक 9 ओमनगर शिवनाथ मार्ग जरहाभांठा, वार्ड क्रमांक 10 राजेंद्र नगर में लार्वा कंट्रोल के लिए लिक्विड व पाउडर दवा का छिड़काव करने के साथ फागिंग किया गया। इसी तरह शाम के समय बड़ी मशीन से वार्ड क्रमांक 21 व 22 में फागिंग से धुंआ छोड़ा गया। सुबह के समय नदी किनारे क्षेत्र में तो दोपहर के समय नाले व नालियों में लिक्विड के साथ पाउडर व् दवा का छिड़काव किया गया। इधर अरपा से जलकुंभी निकालने अभियान में छठघाट के साथ मोपकानाका कतियापारा में 60 कर्मचारी व दो एक्सीवेटर से जलकुंभी निकाला कर नदी की सफाई की गई। इस दौरान नदी के किनारे लार्वा कंट्रोल दवा का छिड़काव किया गया
लार्वा कंट्रोल के लिए अभी तक टेनीफाफ व डेल्टामेथिन यूएलबी 1.25 का उपयोग किया जा रहा था। अब इसके साथ बार्सेलो जीआर और कींगफॉग 1.25 यूएलबी दवा का प्रयोग किया जा रहा है। दोनों ही दवा डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित है। विशेषज्ञों का दावा है कि मच्छर को पनपने से रोकन यह दवा ज्यादा कारगार सिद्ध होगा। नगर निगम की सामान्य सभा में जब कांग्रेसी पार्षद ने आरोप लगाया कि लार्वा कंट्रोल की दवा और फागिंग मशीन के धुएं में मिलावट है। जिस वजह से मच्छर नहीं मर रहे है। यह सुनते ही महापौर किशोर राय तमतमा गए और उन्होंने जवाब में कहा कि पता नहीं कांग्रेसी पार्षद कौन सी दवा चख आये है या कौन सा धुआं सूंघ लिया,जो उन्हें नकली लगा । अगर भरोसा नहीं है निगम की दवाओं पर तो एक बार उसे आजमा कर देख सकते हैं ।यानी मच्छरों के नाम पर जमकर तू तू मैं मैं हुई।
खैर शनिवार को 100 कर्मचारी लगाकर मोपकानाका और छठघाट में अरपा से जलकुंभी की सफाई कराई गई। इस दौरान करीब 5 डंपर और 5 ट्रेक्टर ट्राली जलकुंभी निकाला गया। बड़े तादात में जलकुंभी निकलने और इसका साकारात्मक उपयोग करने कलेक्टर डा. संजय अलंग ने निर्देश दिए हैं, जिसपर निगम कमिश्नर प्रभाकर पाण्डेय ने निकाले गए जलकुंभी से खाद् या क्राफ्ट बनाने कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश अपर आयुक्त श् आरबी वर्मा व कार्यपालन अभियंता पीके पंचायती को दिए हैं। यानी अब जलकुंभी आम के आम गुठलिओ के दाम साबित होंगे।