
भुवनेश्वर बंजारे
बिलासपुर – कोरोना संकट के इस दौर में डॉक्टरों के साथ शिक्षक भी कोरोना को हराने योद्धा के रूप में मैदान पर उतरे है। लेकिन विडंबना यह है कि इस बीमारी से लड़ने वाले इन योद्धाओं में से शिक्षको को ही संक्रमण से दूर रखने अब तक किसी ने गंभीरता नही दिखाई है। लिहाजा प्रदेश के भविष्य गढ़ने वाले शिक्षक अब इस महामारी के चपेट में आ रहे है, ताजा मामला बिलासपुर जिले से सामने आया है,
जहाँ तखतपुर ब्लॉक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला लोखंडी में कार्यरत् शिक्षक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है, जिन्हें उपचार के लिए रायपुर भेजा जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार तिफरा के कालिका नगर निवासी 52 वर्षीय शिक्षक की ड्यूटी 17 मई से 23 मई के बीच बिलासपुर रेल्वे स्टेशन में लगी थी। जहाँ उन्हें रेड जोन से आए मजदूरों को सेनेटाइजर और मास्क बाटने की जिम्मेदारी दी गई थी। जो अपनी साप्ताहिक ड्यूटी कर रिलीव हो गया था,
लेकिन 25 तारीख को ही उसे सर्दी खासी की शिकायत होने लगी। जिसकी जानकारी उन्होंने अपने अधिकारियों की दी। जिसके बाद उन्हें कोरोना टेस्ट कराने कहा गया। तब उन्होंने 26 मई को आर टी पीसीआर से जांच कराई। जिसके बाद वह अपने घर मे ही अकेले कमरे में रहने लगे। चूंकि उनको पहले ही आभास हो गया था कि वह शायद संक्रमित हो चुके है। जिसकी एक वजह यही बताई जा रही है, शिक्षको को संक्रमण रोकने गुणवत्ता युक्त इक्विपमेंट मुहैया नही होगा! सूत्रों की माने तो डॉक्टरो और मेडिकल स्टाफ का संपर्क सीधे श्रमिको से नही होता था। लेकिन शिक्षको का सामना ट्रेन से उतरने वाले श्रमिको से तुरंत होता था। क्योंकि उनको मास्क और सेंटाइजिंग करने की जिम्मेदारी शिक्षको को सौपी गई थी।
वह भी बिना किसी किट के! प्रत्यक्ष दर्शी बताते है कि शिक्षक को एक ग्लब्स और नार्मल मास्क ही दिया जाता है। जिनके बलबुते ही वह कोरोना से जूझ रहे है। शायद यही एक वजह है की प्रदेश का पहला संक्रमित शिक्षक बिलासपुर के जिला प्रशासन ने दिया हैं, जिसे अब इस गलती के बाद सुधारा जाएगा या नही वह तो आने वाले समय मे ही स्पष्ट हो सकेगा।
डायबिटीज से ग्रसित था शिक्षक फिर भी लगाई गई स्टेशन में ड्यूटी,,उम्र का भी नही रखा गया ख्याल.. क्या होगी जिम्मेदारों पर कार्यवाही?
तखतपुर ब्लॉक के जिस 52 वर्षीय शिक्षक को कोरोना ने अपने चपेट में लिया है। वह पहले से ही डायबिटीज बीमारी से ग्रसित था। इसके बाद भी शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने बिना जाच पड़ताल किए उसकी ड्यूटी रेल्वे स्टेशन में लगा दी। इस गलती से अब उस शिक्षक के जान पर बन आई है। यही नही एक ओर कोरोना ओपीडी और बिलासपुर के कोविड हॉस्पिटलों में 50 से कम उम्र वाले मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है, तो दूसरी ओर नियमों को ताक पर रखकर 52 वर्षीय शिक्षक की ड्यूटी स्टेशन में लगा दी गई। ऐसे में देखना होगा इस गलती के पीछे क्या जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी?
शिक्षक संघ ने पहले ही कि थी शिक्षक हित की मांग,,अब विरोध की हो सकती है तैयारी!!
रेल्वे स्टेशन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन में आने वाले मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर पहुचाने तक के कार्यो की जिम्मेदारी जिले के शिक्षको को सौपी गई है। लेकिन उनके स्टेशन में रुकने, सुरक्षा संबंधित पुख्ता इन्तजाम नही किए जा रहे है। जिसको लेकर प्रदेश के शिक्षक संघो ने राज्य सरकार से शिक्षक हित मे निर्णय लेने आग्रह किया था। जिसमे स्टेशन में पंडाल की व्यवस्था,गुणवत्ता युक्त इक्विपमेंट सहित बीमा कराने की मांग की थी। लेकिन इसपर अब तक कोई सकारात्मक पहल नही हो सकी।
लिहाजा अब शिक्षक के पॉजिटिव आने की खबर से शिक्षक संघो में शासन के खिलाफ काफी रोष जताया जा रहा है, ऐसे में एक बार अपनी मांगों को लेकर वह लामबंद हो सकते है!