भुवनेश्वर बंजारे
बलौदा बाजार – जिले के शासकीय स्कूल में हुई चोरी के एक मामले में हुए हैरतंगेज खुलासे ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। दरअसल जिले के प्रतिष्ठित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में बीते दिनों तीन लाख के कम्प्यूटर,लैपटॉप समेत अन्य समानो की हुई चोरी के मामले में सीटी कोतवाली पुलिस ने अहम खुलासा किया है। जहां पुलिस ने स्वामी आत्मानंद स्कूल के पांच छात्रों ने ही अपने स्कूल में चोरी करने का प्लान बनाकर घटना को अंजाम दिया था। जिनके कब्जे से पुलिस ने 07 नग लेनेवो कंपनी का कम्प्यूटर, CPU कुल 071 नग, यूपीएस इंटेक्स कंपनी के 07 नग, एवं एक नग लेपटाप एचपी कंपनी का बरामद किया गया है। इस मामले में थाना प्रभारी सिटी कोतवाली, डीएसपी यदुमणि सिदार ने बताया कि मामले की विवेचना के दौरान सीसीटीवी कैमरे के फ़ुटेज एवं मुखबीर की सूचना पर 05 “विधि से संघर्षरत बालकों” को पकड़ा गया, जिन्होंने पूछताछ में अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। पकड़े गए छात्रों से पूछताछ की गई तब हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। इन लड़कों ने अपने बीच के ही एक हम उम्र का बर्थडे मनाने के लिए पार्टी की और कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखा दिया। ऐसे में उधारी हो गई 30 हजार की। अब सवाल यह था कि उधारी कैसे चुकता की जाए। तो उन्होंने अपने ही स्कूल में चोरी का प्लान बनाकर तीन लाख की चोरी की घटना को अंजाम दिया। इस घटना से यह स्पष्ट है कि अब कुछ बच्चे बचपन में ही गंभीर अपराधों को अंजाम देने लगे हैं, जो बेहद चिंताजनक है। जिस तरह किशोर आए दिन आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, उससे बार-बार सवाल उठते हैं कि क्या इन घटनाओं के लिए वास्तव में बच्चे जिम्मेदार हैं या कहीं न कहीं हमारे लालन-पालन और सामाजिक माहौल में व्याप्त कोई कमी जिम्मेदार है। किशोर उम्र में अपराध करने के लिए बच्चों को कौन से हालात उकसा रहे हैं, इसके लिए बच्चों में प्रेरणा कहां से मिल रही है। क्या इसका कारण परिवार के सदस्यों, पारिवारिक मित्रों, शिक्षकों के बच्चों के साथ व्यवहार में कोई कमी तो नहीं, जिसके चलते कुछ बच्चे गलत राह पर निकल जाते हैं.! इन सबके पीछे कारण जो भी हो,, इसको लेकर अब समय रहते सरकार, समाज, माता-पिता, अभिभावक के रूप में हम सभी का एक नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें स्वस्थ्य सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में बड़ा होने का अवसर प्रदान करें। ताकि वे बड़े होकर देश के जिम्मेदार नागरिक के रूप में शरीर से हृष्ट-पुष्ट, मानसिक रूप से विद्वान और नैतिक रूप से सदाचारी बन कर अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह कर सकें।
बच्चो के व्यवहार में बदलाव आते ही पालको को होना होगा सजग…
हर माता-पिता का दायित्व है कि वह बच्चों का अच्छे ढंग से ध्यान रखें और उनके व्यवहार में आ रहे बदलाव को जान कर उसकी जड़ तक पहुंचे जैसे कि अगर बच्चा स्कूल जाने से आनाकानी करने लगे, स्कूल से रोजाना अलग-अलग तरह की शिकायतें आने लगे, साथी बच्चों को गाली देना, गलत संगत में बैठना, किसी एक काम पर ध्यान न लगा पाना, आवारागर्दी करना, हर समय मोबाइल और इंटरनेट पर चिपके रहना आदि। ये सभी लक्षण दिखने पर समझ जाना चाहिए कि बच्चे के व्यवहार में बदलाव आने लगा है और अब उस पर बहुत अधिक ध्यान देने का समय है। ऐसे हालात में बच्चों को वक्त देना बहुत जरूरी हो जाता है, उसे बाहर घुमाने ले जाना चाहिए, उसके साथ अलग-अलग खेल खेलने चाहिए, बातें करके उसकी समस्या जान कर उसका समाधान करना चाहिए, बच्चों का मन बहुत कोमल होता है इसलिए उसको जरूरत से बहुत ज्यादा नहीं समझाना चाहिए, बात-बात में उसकी गलतियां नहीं निकालनी चाहिए।