
जाहिर है यह सिम्स की घोर लापरवाही की ही निशानी है। जिसका खामियाजा मरीज उठाते हैं
बिलासपुर मोहम्मद नासिर
सिम्स का निर्माण पूरे प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से किया गया था लेकिन निर्माण के बाद से ही बीमारू सिम्स खुद कभी स्वस्थ ना हो सका। यहां दोयम दर्जे के उपलब्ध संसाधनों से ले देकर लोगों का इलाज किया जाता है। व्यवस्थाओं की बात करें तो हर तरफ खामी नजर आती है। सिम्स के भवन के अधिकांश हिस्से में मधुमक्खियों ने अपना छत्ता बना रखा है। एक तो यहां इतनी बड़ी संख्या में मरीज होते हैं, वहीं ओपीडी में भी रोजाना हजारों मरीज पहुंचते हैं। उनके परिजनों की संख्या भी बड़ी है । ऐसे में कभी भी मधुमक्खियों के हमले से बड़ा हादसा मुमकिन है , फिर भी सिम्स प्रबंधन मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने का कोई पुख्ता इंतजाम कभी नहीं करता। सिम्स में यहां वहां भगवान भरोसे मधुमक्खियों के बड़े-बड़े छत्ते लटक रहे हैं जिनके साथ थोड़ी छेड़छाड़ से ही मधुमक्खी अक्सर मरीजों पर हमला बोल देते हैं। गुरुवार को भी ऐसा ही हुआ। किसी कारण से भड़के मधुमक्खियों ने मरीजों और उनके परिजनों पर हमला बोल दिया। यह तो खैरियत रही कि इस बार अधिक संख्या में मधुमक्खियों ने हमला नहीं किया था, जिसके चलते अस्पताल के स्टाफ ने वक्त रहते हालात पर काबू पा लिया ,लेकिन अब भी यहां बड़ी संख्या में मधुमक्खियों के छत्ते लटक रहे हैं। जिन में मौजूद लाखों मधुमक्खी किसी जिंदा बम से कम नहीं है। गुरुवार के हादसे के बाद प्रबंधन अब मधुमक्खियों के छत्ते हटाने की बात कर रहा है ।शायद ही किसी निजी अस्पताल में इस तरह के मधुमक्खी के छत्ते नजर आते हैं, जाहिर है यह सिम्स की घोर लापरवाही की ही निशानी है। जिसका खामियाजा मरीज उठाते हैं।