
पीला पलाश का फूल अपने अलग रंग की वजह से आकर्षण पैदा कर रहा है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
होली रंगों का त्योहार है और प्रकृति ने भी तरह तरह के रंग इस संसार में बिखेर रखे हैं। होली के इस फागुनी मौसम में शहर से बाहर निकलते ही पलाश या टेसू के वृक्ष बहुतायत में नजर आते हैं। होली के समय इन पेड़ों पर खिले फूल सभी की निगाहें अपनी ओर खींच रहे हैं। आमतौर पर पलाश के फूल चटक लाल रंग के होते हैं, लेकिन जानकार बताते हैं कि कुछ दुर्लभ पलाश ऐसे भी हैं जिनका रंग सफेद काला और पीला होता है । इन रंगों के टेसू फूल के बारे में अधिकांश लोगों ने सिर्फ सुना है क्योंकि ऐसे फूल सामान्यतः दिखते नहीं। मगर तखतपुर के बेलपान में रहने वाले डॉ शोभा राम ध्रुव के पास एक ऐसा दुर्लभ पेड़ है जिस में पीले रंग के टेसू के फूल खिलते हैं ।दुर्लभ होने की वजह से इन फूलों को लेकर कई तरह की किवदंती भी विख्यात है। तखतपुर क्षेत्र में हर बार की तरह इस बार भी पीले रंग के यह दुर्लभ टेसू के फूल लोगों के लिए कौतूहल का विषय है। ग्रामीण मान्यताओं के अनुसार पीले पलाश के वृक्ष को देव तुल्य माना गया है। जानकार बताते हैं कि इससे कई औषधियों का निर्माण भी होता है । फूल के अलावा इस पेड़ के पत्ते ,टहनी छाल सब कुछ विशेष है। इस फागुनी महीने में यह पेड़ भी पीले पलाश के फूलों से लद गया है , जिसे देखने लोग अक्सर चले आते हैं । दावा किया जा रहा है कि यह फूल चमत्कारी हैं और इन्हें अपनी तिजोरी में रखने से धन धन की बारिश होती है।
कहते हैं पुराने जमाने में यह किवदंती विख्यात थी की पीले पलाश के फूल का रसपान करने से व्यक्ति अदृश्य हो जाता था। तंत्र मंत्र सिद्धि में भी पीले पलाश के फूल का प्रयोग किया जाता था। इस मान्यता के पीछे क्या कारण होंगे, यह कहना तो मुश्किल है , लेकिन आयुर्वेद में आज भी पलाश के फूलों का प्रयोग कई दवाओं में किया जाता है। पीला पलाश का फूल अपने अलग रंग की वजह से आकर्षण पैदा कर रहा है ।