
बड़े अधिकारी बार-बार पुलिस की छवि बदलने पर जोर देते हैं, लेकिन उसका शायद कुछ असर नहीं हो रहाबिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्यवर्दी पहचान है सुरक्षा और सेवा का। वर्दी के पीछे एक जिम्मेदार इंसान होने की अपेक्षा हरदम होती है ।लेकिन होता हमेशा इसका उल्टा ही है। शरीर पर वर्दी चढ़ते ही इंसान खुद को समाज का हिस्सा समझने की जगह अभिजात्य और शोषक समझ लेता है। वर्दी के साथ सामंती सोच खुद ब खुद आ जाती है और इसी का नजारा मंगलवार को बिलासपुर के लोगों ने किया। वर्दी का गुरुर एक अफसर पर जब चढ़ा तो फिर उन्हें ना इंसानियत की याद आई और ना ही अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हुआ । वे गर्म होते चले गए तो फिर रुके नहीं। वर्दी की गर्मी जब दिमाग में चढ़ जाए तो फिर नतीजे ऐसे ही होते हैं। इस कहानी को समझने के लिए आपको पूरे घटनाक्रम को समझना होगा। रेलवे के आरपीएफ सब इंस्पेक्टर डी एस मुदलियार लकवा पीड़ित है। जीनत बिहार फेस टू में रहने वाले डी एस मुदलियार अपनी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता तनु लता के साथ अपने अल्टो कार से कोटा से बिलासपुर लौट रहे थे। नामांकन की प्रक्रिया के चलते इन दिनों कलेक्ट्रेट के सामने की सड़क पर बैरिकेट्स लगा दिए गए हैं, जिस वजह से वाहनों की आवाजाही में दिक्कत होती है। मुदलियार भी इसी सड़क से गुजर रहे थे। लोगों को हो रही दिक्कतों को देखकर जब मीडिया के कैमरे इस की तस्वीरें लेने लगे तो यहां मौजूद एडिशनल एसपी एस एल चौहान ने जवानों को निर्देश दिया कि वे बैरिकेट्स का छोटा सा हिस्सा खोल दें ताकि वाहन आ जा सके। एसपी के बंगले के सामने घट रही इस घटना में बैरिकेट्स खोलते ही बड़ी संख्या में वाहन धीरे धीरे गुजरने लगे। वहीं पर एडिशनल एसपी चौहान खड़े थे। वाहनों के गुजरने के दौरान डी एस मुदलियार के कार के चक्के का थोड़ा सा हिस्सा एडिशनल एसपी के पैर के ऊपर से गुजर गया । इससे हालांकि उन्हें कोई चोट नहीं आई, लेकिन वर्दी का गुरूर जाग उठा। उन्हें लगा कि एक आम आदमी की हिम्मत कैसे हो सकती है कि वह पुलिस वाले के पैरों पर गाड़ी चढ़ा दे। भले ही ऐसा उससे अनजाने में क्यों ना हुआ हो। भले ही गाड़ी चलाने वाला विकलांग क्यों ना हो। लेकिन पुलिसिया अहंकार और वर्दी का घमंड जब अधिकारी के सर चढ़कर बोलने लगा तो फिर उन्होंने आव देखा न ताव विकलांग और महिला के साथ भी बदतमीजी शुरू कर दी । वे दोनों को लगातार गंदी गंदी गालियां देकर धमकाने लगे । अपनी गलती मान दोनों पति-पत्नी हाथ जोड़कर पूरे समय गिड़गिड़ाते रहे लेकिन अधिकारी का दिल नहीं पसीजा। मुदलियार ने बताया कि वे खुद भी आरपीएफ के सब इंस्पेक्टर है लेकिन एस एल चौहान ने उनकी एक न सुनी और उन्हें जलील करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।मुदलियार दंपत्ति लगातार एडिशनल एस पी चौहान के आगे हाथ जोड़कर माफी मांगते और गिड़गिड़ाते रहे लेकिन फिर भी एस एल चौहान को उन पर तरस नहीं आई और वे उन्हें लेकर सजा दिलाने सिविल लाइन थाने पहुंचे। हालात बेकाबू होता देख डी एस मुदलियार ने इसकी सूचना अपने विभाग को दी।इसके बाद रेलवे से भागे भागे अधिकारी पहुंचे और किसी तरह से मामले को सुलझाया। रोज रोड रेज की ऐसी कितनी घटनाएं होती है इसमें जो अपना आपा खो देते हैं उनके लिए ऐसी घटनाएं भयावह साबित होती है। पुलिस खुद रोड रेज की घटनाओं में आम आदमी को संयम बरतने की सलाह देती है, लेकिन उसके अधिकारियों का ऐसा बर्ताव हैरान करता है। मंगलवार को जिसने भी इस घटना को अपनी आंखों से देखा उसका पुलिस और वर्दी पर से विश्वास कम होता चला गया। ऐसी ही छवि की वजह से पुलिस बदनाम होती है। बड़े अधिकारी बार-बार पुलिस की छवि बदलने पर जोर देते हैं, लेकिन उसका शायद कुछ असर नहीं हो रहा।