
19 साल की काजल राठौर के हाथ में बांस का फांस अटक गया जिसका इलाज कराने वह 1 झोलाछाप डॉक्टर के पास चली गई और अब उसके गलत इलाज की वजह से उस की जान पर बन आई है
आकाश दत्त मिश्रा
प्रदेश में तेजी से किडनी के मरीज बढ़ रहे हैं । वहीं इनके के उपचार में संसाधनों की भारी कमी की वजह से लगातार किडनी पेशेंट की मौत हो रही है। सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस कराने वाले किडनी बीमारी से पीड़ित मरीजों की लंबी कतार देखी जा सकती है । वहीं प्रदेश में सिर्फ ब्लड रिलेटिव को ही किडनी मरीज को ट्रांसप्लांट के लिए किडनी देने की स्वीकृति है। इस वजह से भी किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहे। यानी किडनी की बीमारी जानलेवा है और एक झोलाछाप डॉक्टर की जरा सी लापरवाही के चलते गतौरा की रहने वाली अच्छी भली काजल राठौर किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गई ।अब उसकी जान पर बन आई है। करीब 2 माह पहले सीपत के एक पेट्रोल पंप पर बतौर पेट्रोल पंप ऑपरेटर काम करने वाले शंकर राठौर की पत्नी काजल राठौर की उंगली में बांस का फांस अटक गया । जिसे निकालने के लिए दोनों पति-पत्नी गतौरा बाजार चौक में झोलाछाप डॉक्टर डॉ झनमानी क्लीनिक पहुंचे, जिन्होंने पहले लोकल ऑपरेशन कर उसको निकालने की कोशिश की और इस चक्कर में घाव गहरा कर दिया। और वही पेन किलर के नाम पर दो इंजेक्शन लगा दिए। इंजेक्शन लगाने के कुछ दिन बाद ही काजल राठौर का पूरा शरीर सूजने लगा। घबराया पति पत्नी को लेकर बिलासपुर के लाइफ केयर अस्पताल पहुंचा। यहाँ उसे जानकारी हुई कि गलत इंजेक्शन लगा देने की वजह से काजल का किडनी क्षतिग्रस्त हो चुका है। यहां इलाज के नाम पर क़रीब 75000 रुपये खर्च हो गये लेकिन खास सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद तोरवा के जे जे अस्पताल में काजल को इलाज के लिए ले जाया गया। वहां भी यही बताया गया कि झोलाछाप डॉक्टर की गलती से ही काजल की किडनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं । वहां भी लंबे वक्त डायलिसिस और इलाज पर करीब एक लाख 20000 रुपये खर्च हो गए। कुल मिलाकर पत्नी के इलाज में अपनी जीवन भर की जमा पूंजी शंकर राठौर गँवा चुका है ,लेकिन पत्नी की तबीयत ठीक नहीं हो रही।
करीब 2 लाख रुपए खर्च करने के बाद शंकर राठौर की माली हालत जवाब देने लगी , तब वह अपनी पत्नी को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचा। यहां भी अब तक 25 से अधिक बार काजल राठौर का डायलिसिस हो चुका है और अब केवल किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचा है। पति शंकर राठौर अपनी पत्नी को किडनी देने को तैयार है लेकिन प्रदेश में किडनी ट्रांसप्लांट की कोई समुचित व्यवस्था ना होने से काजल के सामने जिंदगी और मौत का सवाल खड़ा हो गया है। वैसे भी किडनी ट्रांसप्लांट पर खर्च होने वाली भारी भरकम फीस पटाने की क्षमता शंकर राठौर की रही नहीं और ना ही वह इलाज के बाद लगातार चलने वाली दवाइयों का ही खर्च उठा पाने की हालत में है।
जाहिर है अच्छी भली काजल राठौर केवल झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज की वजह से मौत के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी मधुलिका सिंह ने इस मामले में कहा कि शिकायत मिलने पर ऐसे झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है
पुरे पदेश में खुलेआम ग्रामीण इलाकों में ऐसे सैकड़ो झोलाछाप डॉक्टर अपना क्लीनिक चला रहे हैं। वहीं प्रदेश का स्वास्थ्य अमला यह तर्क दे रहा है कि पहले चिकित्सकों की व्यवस्था की जाएगी और फिर झोलाछाप डॉक्टर पर कार्यवाही होगी। इस बीच पता नहीं झनमानी जैसे झोलाछाप डॉक्टर और कितने काजल की इसी तरह जान ले लेंगे। एक तरफ पत्नी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है वही पति शंकर राठौर अपनी जिंदगी भर की कमाई लुटा चुका है। हैरानी इस बात की है कि इसके असली दोषी झोलाछाप डॉक्टर पर किसी तरह की कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई है ।