
उत्साह के साथ लोगों ने महीने भर की मेहनत से होलिका का निर्माण किया था लेकिन बेमौसम बारिश ने रंग में भंग डाल दिया
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
भारत पर्वों का देश है। यहां लगभग सभी दिन कोई ना कोई त्यौहार या पर्व मनाया जाता है, लेकिन होली और दिवाली को सबसे बड़े पर्व का दर्जा हासिल है। होली को लेकर लोगों के उत्साह का आलम यह है की बसंत पंचमी से ही होली का डांग गड़ जाता है और उसी दिन से बच्चों की टोलियां इधर उधर से लकड़ियां इकट्ठा कर होलिका दहन की तैयारी करते हैं। इस बार भी जगह-जगह उत्साह के साथ लकड़ी कंडे आदि से होलिका बनाए गए हैं लेकिन बुधवार शाम को मौसम दगा दे गई । बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम और क्षेत्र में कम दबाव की वजह से शाम को बादल उमड़ घुमड़ आए और तेज चमक गरज के साथ बारिश होने लगी। हालांकि बहुत तेज बरसात तो नहीं हुई लेकिन करीब घंटे भर की बारिश से अधिकांश खुले में मौजूद होलिका की लकड़ियां भीग गई। जिस वजह से इनके अच्छे से जलने पर प्रश्न चिन्ह लग गया । बड़े उत्साह के साथ लोगों ने महीने भर की मेहनत से होलिका का निर्माण किया था लेकिन बेमौसम बारिश ने रंग में भंग डाल दिया।