
उदय सिंह

मस्तूरी – क्षेत्र के ग्राम रिस्दा निवासी वैद्यराज सुनील चंदेल ने बताया की उनके द्वारा पिछले कई वर्षों से मिर्गी की आयुर्वेदिक दवाईयो का निशुल्क वितरण कर रहे है मान्यता है कि मिर्गी के रोगी को होली के दिन ही यहाँ उपस्थित रहना होता है।

गांव के बाहर मैदानी इलाके में मरीजो एवं उनके परिजनों के रहने और खाने की निशुल्क व्यवस्था किया जाता है। बताया जाता है कि यहाँ मिर्गी का जितना भी पुराना रोगी होगा यहाँ पहुँचने के बाद उसके शरीर मे सुधार होने लगता है

ऐसे ही मरीज को 3 सालो तक होली के दिन ही यहाँ उपस्थित होना होता है जिसके बाद मिर्गी की बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। यहाँ देश के अलग अलग कोने से लोग अपना इलाज करवाने पहुँचते है।

इस वर्ष भी करीब 20 हजार से अधिक की जनसंख्या में लोग मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा लेने पहुंचे थे, होली के 3 दिन पहले ही लोगो का आना हो शुरू जाता है

जो होली के दिन मेले जैसा माहौल रहता है, लोगो के दुसरे दिन भी यहाँ से जाने का सिलसिला लगा रहता है।