
भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर – कोरोना संकट के दौर में प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी शनिवार से हड़ताल में चले गए है। जिसका व्यापक असर बिलासपुर में भी देखने को मिला है। कर्मचारियों ने सीधे तौर पर शासन प्रशासन के निर्देश के खिलाफ जाकर हड़ताल पर बैठे गए है। शनिवार को जिले के संविदा डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन समेत अन्य कर्मचारियों ने काम बंद पर सीएमएचओ दफ्तर सहित अपने ब्लॉक मुख्यालय कार्यालय से बाहर निकल कर प्रदर्शन किया है। जहाँ स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की मार्मिक अपील भी किसी काम नहीं आई है। इस दौरान संघ के कर्मचारियों ने कहा कि 15 सालों से सभी छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने में लगे हैं। बावजूद हमारा नियमितीकरण नहीं किया गया। इसको लेकर बार-बार मांग करते रहे है, वर्तमान सरकार ने भी अपने घोषणा-पत्र में इसे शामिल किया था, लेकिन कोई सकारात्मक रूख अभी तक नहीं दिखाई दिया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश स्तर में संघ के आह्वान में किए गए हड़ताल में जिले के 448 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भाग लिया है। इसके अलावा प्रदेश में एक सूत्रीय मांग को लेकर 13 हजार स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों (एनएचएम, सीजीएसएसीएस, आरबीएसके, आरएनटीसीपी, एनसीडी, एनवीबीडीसीपी, एनओएचपी) के नियमितिकरण के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। उन्होंने शासन द्वारा पूर्व में दिए कार्यवाही की चेतावनी पर कहा कि वह हर तरह की कार्यवाही के लिए तैयार है। इस दौरान सीएमएचओ डॉ प्रमोद महाजन कर्मचारियों से मिलने पहुँचे थे। जहाँ उन्होंने हड़ताल वापस लेने की अपील की,लेकिन इसका कोई भी सकारात्मक असर मौजूदा हालात में नही पड़ा।
विधायक भी पहुँचे मौके पर,,जल्द मांग पूरी होने का दिया आश्वासन…
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के अचानक गए हड़ताल की जानकारी मिलते ही नगर विधायक शैलेश पांडे स्वास्थ्य कर्मचारियों से मिलने सीएमएचओ दफ्तर पहुँचे थे। जहाँ उन्होंने उनकी समस्याओं को विस्तार से जाना,विधायक पांडेय ने कहा कि मौजूदा हालात में हड़ताल उचित नही है। हालाकि उनकी मांगे अब भी राज्य स्तर पर विचाराधीन है। जिन्हें जल्द ही पूरा करने प्रयास जारी है।
हड़ताल से बेपटरी हुई स्वास्थ्य व्यवस्था,, कोविड जांच कराने भटकते रहे मरीज…
अपनी एक सूत्री मांगों को लेकर जिले के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल में चले गए है। जिससे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है। इसका सीधा असर जिले के कोविड जांच सेंटरो में देखने को मिला है। शनिवार को कुर्मी छात्रावास सरकंडा में कोविड संदेहियों की जांच नही हो सकी,तो वही जिले के अन्य दो जांच सेंटर में भी सीमित संख्या में संदेहियों की जांच की गई है। जिस वजह से बड़ी संख्या में कोविड संदेही मरीज मायूस होकर लौटे है।
कोरोना राहत कार्य मे लगे सविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की कोरोना ने निगल ली जिंदगी,,ना मिली राहत राशि ना ली किसी ने सुध..
हड़ताल में गए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि फरवरी माह से लगातार कोरोना राहत कार्य मे ड्यूटी कर रहे है। इस दौरान प्रदेश के आधे दर्जन से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मौत कोविड के चपेट में आने से हुई है। चूंकि वह सविदा कर्मचारी है। इसलिए उनके परिवार को कोई भी राहत राशि नही दी गई है। इसके अलावा मौत के बाद प्रशासनिक अमले ने मृत कर्मचारियों के परिवार की कोई सुध नही ली है। शायद यही एक वजह है कि बीते आठ महीनों से सुलग रही चिंगारी शनिवार को ज्वालामुखी के रूप में फूटी है।