डेस्क
जिस वर्दी की जिम्मेदारी कानून और जनता की हिफाजत है, उसी वर्दी का इस्तेमाल पुलिस विभाग के कुछ बेईमान सिपाही ,इसी जनता को लूटने और कानून की धज्जियां उड़ाने में कर रहे हैं। ऐसे ही दो आरक्षको पर रविवार को गाज गिरी । असल में हुआ यह था कि कोनी थाने में पदस्थ आरक्षक विनीत कुमार और सुनील कुमार रोज की तरह सड़क से गुजरने वाले वाहनों में अपना शिकार ढूंढ रहे थे । इसी दौरान बकरियों से लदा एक वाहन उनके हाथ लग गया। सुबह करीब 6:00 बजे कोनी पुलिस के दो आरक्षक विनीत और सुनील के हाथ जो गाड़ी लगी थी उसमें हरियाणा से 26 बकरे बकरिया लाए जा रहे थे। इस गाड़ी को जहां जय भगवान चला रहा था तो वहीं उसमें प्रकाश निर्मलकर भी मौजूद था। प्रकाश निर्मलकर बकरे बकरियों का कारोबार करने वाले मोहम्मद इकबाल हक का कर्मचारी है। मोहम्मद इकबाल खुद गुरुनानक चौक व्यापारी संघ के अध्यक्ष तो है ही साथ ही उनकी पहचान यह भी है कि वे कांग्रेस पार्षद तजम्मूल हक के बड़े भाई भी हैं। कर्मचारियों ने मोहम्मद इकबाल को बताया कि 2 सिपाही उनकी गाड़ी पकड़ कर उनसे पैसों की मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों ने पुलिस के दोनों आरक्षको से 1000 रुपये लेकर मामले को रफा-दफा करने का ऑफर भी दिया लेकिन दोनों आरक्षक अड़ गए । उन्होंने कहा कि कम से कम 5000 रुपये दे नहीं तो फिर वे गाड़ी को थाने ले जाएंगे और वहां उन्हें 50 हज़ार रुपये देना पड़ेगा। यह बात भी प्रकाश निर्मलकर ने मोहम्मद इकबाल तक पहुंचा दी । जिसके बाद उन्होंने कहा कि आरक्षक जो भी पैसे मांग रहे हैं उन्हें दे दे। जय भगवान और प्रकाश निर्मलकर के पास पूरे वैध कागजात थे। बकरे बकरियों का हिसाब भी था। गाड़ी के भी कागजात पूरे थे, फिर भी लूटेरे आरक्षकों ने उनसे 5000 रुपये ले ही लिये। मगर उन्हें नहीं पता था कि वे अपने लिए कैसी आफत बुला रहे हैं । मोहम्मद इकबाल ने इस घटना की जानकारी एडिशनल एस पी ओमप्रकाश शर्मा को फोन पर दे दी। जिसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए एडिशनल एस पी ने पीड़ित पक्ष और आरोपी आरक्षकों को अपने पास बुलाया। विनीत कुमार तो काम के सिलसिले में कहीं चला गया था लेकिन मौके पर पहुंचे सुनील ने पकड़े जाने पर गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया । माफी मांगते हुए सुनील कहने लगा कि उससे और उसके साथी से गलती हो गई है। मगर वर्दी को दागदार करने और विभाग को शर्मसार करने की वजह से एडिशनल एसपी ने तत्काल विनीत और सुनील को बर्खास्त कर दिया।
जानते सभी हैं कि पुलिस इसी तरह रोज वसूली करती है ,लेकिन विभाग उन पर कार्यवाही नहीं करता । मगर रविवार को हालात ऐसे बन गए कि विभाग को अपने आरक्षको के ऊपर कार्यवाही करनी ही पड़ी। वैसे यह भी माना जा रहा है ,क्योंकि पीड़ित पक्ष प्रभावशाली था, इसलिए यह कार्यवाही इतनी तत्परता से हुई, अन्यथा अगर आम आदमी के साथ इस तरह की कोई घटना हुई होती तो उसकी शिकायतों को विभाग शायद गौर भी ना करता। इधर एडिशनल एसपी ओमप्रकाश शर्मा ने जरूर यह कदम उठाकर अपने भ्रष्ट कर्मचारियों को यह संदेश दे दिया है कि बेईमानी करते पकड़े जाने पर उनका क्या हश्र हो सकता है ।