
हरिशंकर पांडेय
मल्हार – खेती किसानी में महिलाए कभी भी पुरुषों से कम नही रही है खासकर ग्रामीण अंचल की महिलाए शुरू से ही कुशल किसान रही है अब वे सरकारों के प्रोत्साहन से नवाचार कर पुरुषों से आगे बढ़ रही है। वैसे तो सब्जी फसल के लिए मल्हार बिलासपुर जिले में भी प्रसिद्ध है जहां सब्जी बाड़ियो की कमान महिलाए ही सम्हालती है। यहां बड़ी संख्या में केंवट समाज के लोग है जिनका मुख्य व्यवसाय सब्जी की खेती करना है और शाम को प्रतिदिन दैनिक हटरी में ज्यादातर महिलाए ही सब्जी बेचती है। इसके अलावा धान व उन्हारी की खेती बड़ी शिद्दत से करती है। मल्हार के भसर्री खार में सब्जी की खेती करने वाली 50 वर्षीय महिला किसान प्रमिला कैवर्त बताती है वे शुरू से ही अपने पति के साथ अपनी बाड़ी में प्रतिदिन काम करती है जिसमे उनकी बहुए व बेटियां भी हर काम मे सहयोग करती है वे कहती है कि सब्जी की खेती ही उनके परिवार का मुख्य व्यवसाय है और उनको गर्व है कि वे एक महिला किसान है।
ऐसे ही एक धर्म नगरी मल्हार की जागरूक महिला किसान दिब्या देवी वर्मा जैविक खेती एवं अन्य लोगों से हट कर काम कर मिशाल कायम कर रही है। इनके फसल को देखने प्रदेश व अन्य प्रदेशों के दुर दराज के किसान भ्रमण के लिए एवं खेती के गुर सीखने आते है। इतना ही नहीं कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों व वैज्ञानिक भी विजिट के लिए आते है, और हर वर्ष आत्मा योजना के तहत डिप्लोमा कर रहे छात्रों का आगमन शैक्षणिक भ्रमण के लिए होता है। दिब्या वर्मा अभी वर्तमान मे रागी की खेती भी मिलेट्स इयर के तहत कृषि विभाग के मार्गदर्शन मे कर रही है। इससे पहले रंगीन फुल गोभी खेती मे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से पति पत्नी सम्मान पाने के बाद खेती करने का हौसला और बढ गया है। वे बताती है की केला कि खेती भी उद्यान विभाग के मार्गदर्शन में करके अच्छा मुनाफा कमाया है जिससे अब वे अपने खेती का रूझान उद्यानिकी फसलो पर कर रही है।
क्योंकि उद्यानिकी फसलो मे मुख्य फसलो के साथ अंतर्वर्ती खेती कर आंतरिक लाभार्जन कर रही है। खेती मे नवाचार करने वाली मल्हार की पहली महिला किसान जो कि 140 सेव के पौधे हिमाचल से मंगवाकर जैविक पद्धति से लगायी है जिसमे बेहतर ग्रोथ देखा जा रहा जिससे वे उत्साहित है कि ठंडे प्रदेशो में होने वाला फल छत्तीसगढ़ में भी होगा। इसके साथ साथ अंगूर लीची, आम, अखरोट, अमरूद , बेर , अनार इत्यादि लगायी है। और इन फसलो के बीच मे स्ट्रॉबेरी , टमाटर, बैंगन और रंगीन फुलगोभी का खेती भी कर रही है। अपने खेत मे जिवामृत , वेस्ट डिकंपोजर, वर्मी कंपोष्ट खाद, गोबर खाद के साथ कई प्रकार के मित्र बैक्टीरिया के उपयोग तथा कचड़ा एवं फसल अवशेषों का अच्छादीत कर रही है ।
जिसमें जमीन मे बहुत बदलाव आया है आर्गेनिक कार्बन बढ गया है जिससे फसलों का उत्पादन भी बढ़ा है। यह महिला किसान लोगों को इस तरह की खेती कर अपने आमदनी को बढ़ा कर स्वस्थ समाज के निर्माण मे देश सेवा के लिए लोगों से अपील करती है कहती है अगर महिला आगे आकर इस तरह की खेती करेगी तो देश में नारी सशक्तीकरण की परिभाषा सही मायनों में होगी।