
हरिशंकर पांडेय
मल्हार – भगवान शिव के आराधना का पवित्र सावन माह मंगलवार से प्रारंभ हो गया। पहले ही दिन धर्मनगरी मल्हार के प्रसिद्ध स्वयं भू भगवान पातालेश्वर महादेव में सैकड़ो शिवभक्तों ने जलाभिषेक कर पूजन किया। विशेषकर महिलाओ व युवतियों की ज्यादा संख्या रही जिन्होंने शिव जी के लिए पूजा की थाली में बेलपत्र, गंगाजल, दूध, दही, शक्कर, चावल, मधु, दूर्वा, कनेर, आंक फूल के साथ विभिन्न प्रकार के पूजन सामग्रियों से पूजन कर मनवांछित फल की कामना की।
इसी तरह अब पूरे दो माह शिवभक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने विभिन्न तरीकों से आराधना करेंगे। इस महीने के प्रत्येक सोमवार को दूरस्थ अंचलों से हजारो लोग जलाभिषेक करने आते है। मंगलवार को उमस भरी गर्मी के बीच भी लोगो की श्रद्धा कम नही हुई। सुबह से शाम तक श्रद्धालु मंदिर पहुचते रहे।
दो माह का विशेष संयोग….
इस बार 4 जुलाई से प्रारम्भ हुआ सावन माह दो महीने तक रहेगा। इस वर्ष एक महीने का श्रावण महिना 1 महीने का मलमास इसलिए यह दो महीने शिव भक्ति के लिए उत्तम है पंडितों के अनुसार यह शुभ संयोग 19 वर्ष बाद आया है इसलिए इस दौरान शिवभक्त अपने मनोकामना के लिए रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप सहित कई अनुष्ठान कराएंगे। मान्यता है कि सावन माह में भगवान पातालेश्वर महादेव में की गई जलाभिषेक व रुद्राभिषेक निष्फल नही जाता। भक्तिभाव के साथ की गई उपासना से मनोकामना पूर्ण होते है इसलिए यहां सावन माह में हजारो भक्त सैकड़ो किलोमीटर दूर से बोलबम के जयकारे के साथ पहुचकर जलाभिषेक करते है।
माना जाता है कि मल्हार आदिकाल से भगवान शिव की ही नगरी है। इसीलिए तो यहां हजारो की संख्या में विभिन्न स्थलों में शिवलिंग स्थापित है। विशेषकर यहां के पौराणिक महत्व के सरोवरों के किनारे भगवान शिव, शिवलिंग के रूप में विराजे है। इसके अलावा नगर के निर्जन स्थानों में भी कई रूप में शिव जी की प्रतिमा स्थापित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां के प्रसिद्ध परमेश्वरा तालाब में डुबकी लगाकर जल को भगवान पातालेश्वर में अर्पित करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि त्रेता युग मे भगवान श्रीराम अचला सप्तमी के दिन इसी सरोवर में स्नान कर भगवान शिव जी मे जलाभिषेक किये थे। तब से ही इस सरोवर की मान्यता है। सावन व महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर श्रद्धालु इस पवित्र सरोवर में स्नान कर जल अर्पित करते है।