
जुगनू तंबोली
बिलासपुर – जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूर बिल्हा ब्लॉक अंतर्गत सरवन देवरी गांव के तीन हजार ग्रामीण आज भी शुद्ध पेयजल की बाट जोह रहे हैं। जल जीवन मिशन के तहत शुरू हुई करोड़ों रुपये की पेयजल परियोजना अधूरी पड़ी है और ग्रामीणों को हैंडपंप के दूषित जल या फिर गर्मी में सूखते स्रोतों के भरोसे जीना पड़ रहा है। करीब चार साल पहले इस योजना की नींव रखी गई थी। उद्देश्य था गांव के हर घर तक नल के माध्यम से शुद्ध जल पहुंचाना। लेकिन आज भी न तो पानी की टंकी पूरी बन पाई है, न ही पाइपलाइन का कार्य पूरा हुआ है। गांव में जहां-तहां अधूरी पाइपलाइन पड़ी है, और टंकी परिसर की दीवारें जर्जर होने लगी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि छह महीने तक काम धीरे-धीरे चलता रहा, लेकिन दो महीने पहले ठेकेदार और कर्मचारी बिना सूचना के काम अधूरा छोड़कर चले गए। टंकी का आधा हिस्सा ही बन पाया है और आधे गांव में ही पाइपलाइन बिछी है। गांव में गर्मी की दस्तक के साथ ही जल संकट और गहरा गया है। अधिकतर हैंडपंप या तो सूख चुके हैं या बहुत कम पानी दे रहे हैं। ग्रामीण दूषित जल पीने को मजबूर हैं जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
इस परियोजना के लिए लाखों-करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था और जुलाई 2024 तक इसका पूर्ण होना तय था। परंतु ठेकेदार की लापरवाही और विभागीय उदासीनता ने इसे अधर में लटका दिया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बिल्हा ब्लॉक प्रभारी इंजीनियर मुकेश बहेकर ने बताया कि ठेकेदार को पुनः निर्माण कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन सवाल यह है कि चार साल में भी अगर कार्य पूरा नहीं हो सका, तो कब तक ग्रामीणों को राहत मिलेगी? ग्रामीणों की पीड़ा और गर्मी की मार के बीच यह अधूरी परियोजना सरकारी व्यवस्था की विफलता की कहानी बयां कर रही है। जरूरत है कि जिम्मेदार अधिकारी त्वरित कार्रवाई करें और सरवन देवरी के लोगों को उनका अधिकार शुद्ध पेयजल जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं।