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बगैर भाजपा और कांग्रेस की सरकार का सपना देख रहे हैं अजीत जोगी, किया केंद्रीय चुनाव मंडल का गठन

मुमकिन है अजीत जोगी संसद तक पहुंच भी जाए। लेकिन उनकी पार्टी इससे अधिक सीट जीत पाएगी ऐसा फिलहाल तो लगता नहीं और एक या दो सीट की वजह से उन्हें गठबंधन की सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी ऐसी भी कोई संभावना दूर-दूर तक नहीं है

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य

लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर झाड़ पोंछ कर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस को मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरह के मंसूबे सजाए गए थे वह हकीकत में तब्दील नहीं हो पाई। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस , बसपा के साथ गठबंधन करने के बाद भी कोई चमत्कार करने में असफल रही। एक बार फिर यही जोड़ी लोकसभा चुनाव में बड़ा फेरबदल करने का दावा कर रही है। शुक्रवार को बिलासपुर के मरवाही सदन में पार्टी सुप्रीमो अजीत जोगी पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने वर्तमान सरकार के साथ पिछली सरकार पर भी शराबबंदी को लेकर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 5 साल में चार दिन बाकी रहने पर शराबबंदी करना वादा निभाना नहीं कहा जा सकता। अजीत जोगी ने तंज कसते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ किसी और बात में अव्वल हो ना हो लेकिन शराब पीने के मामले में यह देश में नंबर वन है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर भी तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि वह कहते हैं पूर्ण शराबबंदी करेंगे, तो फिर क्या उन्होंने बिना किसी होमवर्क के ही शराब बंदी का वादा कर दिया था। अजीत जोगी की पार्टी लगातार शराबबंदी पर जोर दे रही है, लेकिन मजे की बात यह है कि छत्तीसगढ़ में शराब की बेतहाशा बिक्री और ढेरों दुकान खोलने का सिलसिला उनके कार्यकाल में ही आरंभ हुआ था। इसका बचाव करते हुए अजीत जोगी यह तर्क देते हैं कि जब प्रदेश का बंटवारा हुआ था तब उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं था, तब शराब ही आय का प्रमुख स्रोत था। लेकिन ऐसा कह कर वे बच नहीं सकते। प्रदेश की जनता को शराब में डूबाने का काम उन्हीं के कार्यकाल में हुआ। जिस का दंश पूरा प्रदेश आज भी भुगत रहा है। अजीत जोगी ने तो यह तक आरोप लगा दिया कि शराबबंदी ना करने के लिए कांग्रेस सरकार को 200 करोड़ एडवांस में और 300 करोड़ रुपए लोकसभा चुनाव के लिए शराब लॉबी दे रहा है। अपने विरोधी कांग्रेस पर भी तीखे प्रहार करते हुए अजीत जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को अगर बचाना है तो पूर्ण शराबबंदी करनी होगी। केवल खाद और बीज के लिए दिए गए पैसे को कर्ज माफ नहीं कहा जा सकता।

उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे को भी बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में 25 से 30 लाख बेरोजगार घूम रहे हैं। जिनके पास कोई काम नहीं है। जब इतनी बड़ी फौज खाली घूमेगी तो फिर शराब की खपत तो बढ़ेगी ही । उन्होंने बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की वकालत की ।इतना ही नहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ में संविदा में कार्य कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग की। शराबबंदी की चर्चा करते हुए अजीत जोगी ने कहा, भले ही बिहार के मुख्यमंत्री उनके राजनीतिक विरोधी हो, लेकिन शराब बंदी के बेहतर निष्पादन के लिए वह उनकी प्रशंसा करते हैं । पत्रकारों से बातचीत के दौरान अजीत जोगी ने कहा कि आंगनबाड़ी में काम कर रही मितानिन और अन्य संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाना चाहिए । आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में एक बार फिर जनता कांग्रेस और बसपा गठबंधन चुनाव लड़ेगी और यह गठबंधन प्रदेश के सभी 11 सीटों से चुनाव लड़ेगी। जब पत्रकारों ने पूछा कि पार्टी के बड़े नेता साथ छोड़ रहे हैं तो अजीत जोगी ने बेफिक्री से बताया कि उन्होंने आउटसोर्सिंग का रास्ता खुला रखा है। चुनाव के पहले नेताओं का आना जाना सामान्य बात है। अजीत जोगी ने अपने ही अंदाज में व्यंग करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ से चुने गए सांसदों में इतनी ताकत ही नहीं होती कि वे लोकसभा में अपनी कुछ मांग रख सके। पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने इतना भर कहा कि पुलवामा के हमले के आधार पर चुनाव का निष्कर्ष नहीं निकलेगा ।अति उत्साह में अजीत जोगी यह दावा भी कर बैठे कि इस बार केंद्र में बिना कांग्रेस और भाजपा की सरकार बनेगी। अजीत जोगी यह दावा करते भी दिखे कि मौजूदा दौर क्षेत्रीय पार्टियों का है ,इसलिए क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन की ही सरकार 2019 में बनेगी । उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को भी पूरी तरह से नाकाम बताया और कहा कि आज नेपाल जैसे देशों से भी संबंध अच्छे नहीं हैं। शुक्रवार को अपने निवास पर पत्रकारों के समक्ष उन्होंने केंद्रीय चुनाव मंडल के गठन की जानकारी दी। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय चुनाव मंडल का गठन किया गया है, जिसमें जाहिर तौर पर उनके ही परिवार के सदस्य हैं। केंद्रीय चुनाव मंडल में अजीत जोगी डॉ रेणु जोगी के अलावा धर्मजीत सिंह, देवव्रत सिंह, प्रमोद शर्मा ,हरिदास भारद्वाज, महेश देवांगन , कोंडल राव शामिल है। जिनके द्वारा आगामी लोकसभा, नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा। हमेशा की तरह अजीत जोगी बड़े बड़े दावे करते नजर आए।

कहते हैं काठ की हांडी एक ही बार चढ़ती है। अजीत जोगी राजनीतिक जगत के चमकते सूरज थे, जो अब अस्त हो चुका है। थोड़ी बहुत उम्मीद विधानसभा चुनाव को लेकर थी, लेकिन उसमें भी मुंह की खानी पड़ी। जिसके बाद एक एक कर उनके ही साथी उन्हें गुड बाय कह गए। कुल मिलाकर परिवार के सदस्यों के अलावा वही लोग साथ हैं , जिनकी घर वापसी नहीं हुई है, लेकिन यह भी कब तक साथ रहेंगे, यह कहना मुश्किल है। अजीत जोगी की कथनी और करनी का अंतर सोशल मीडिया के इस जमाने में लोग बेहतर समझने लगे हैं। उन्होंने शराबबंदी को जरूर मुख्य मुद्दा बनाया हैं लेकिन दूसरी तरफ वे आदिवासी इलाकों में शराबबंदी ना करने की भी वकालत कर रहे हैं ।उनके ही कार्यकाल में शराब का कारोबार फला फूला । लिहाजा इस मुद्दे पर कामयाबी मुश्किल है ।अजीत जोगी की पार्टी का विस्तार इतना भी नहीं है कि लोकसभा चुनाव में फर्क पैदा करें । प्रदेश की राजनीति में कोई संभावना ना दिखने पर अब अजीत जोगी एक बार फिर केंद्र की राजनीति का सपना देख रहे हैं। मुमकिन है अजीत जोगी संसद तक पहुंच भी जाए। लेकिन उनकी पार्टी इससे अधिक सीट जीत पाएगी ऐसा फिलहाल तो लगता नहीं और एक या दो सीट की वजह से उन्हें गठबंधन की सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी ऐसी भी कोई संभावना दूर-दूर तक नहीं है। कुल मिलाकर अजीत जोगी अपने और अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बार अगर उनका गढ़ ढह गया तो फिर अजीत जोगी भी इतिहास बनकर रह जाएंगे। यही छटपटाहट शुक्रवार को पूरे वक्त उनके चेहरे पर नजर आयी।

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