छत्तीसगढ़

एक बार फिर रुलाने लगा प्याज , हालात ऐसे ही रहे तो प्याज लगाएगा सैकड़ा

डेस्क

एक बार फिर प्याज रुलाने लगा है। प्याज भारतीय रसोई का अभिन्न अंग है ।अधिकांश व्यंजनों में प्याज का उपयोग अनिवार्य रूप से होता है, इसलिए जब जब प्याज की कीमत बढ़ती है तो देश भर में स्वाभाविक रूप से हाहाकार मच जाता है । 1998 सभी को याद है, जब प्याज की महंगाई ने दिल्ली में भाजपा सरकार की हार तय कर दी थी। एक बार फिर प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी है। एक पखवाड़े के भीतर ही प्याज की कीमतें दोगुनी और 4 गुनी हो गई। अभी हाल ही में बिलासपुर में प्याज 15 से 17 रु किलो के भाव बिक रही थी। जिसकी कीमत अचानक 35 रुपए किलो हो गई और फिर देखते ही देखते सप्ताह भर के भीतर प्याज की कीमत आसमान तक जा पहुंची। बिलासपुर के अलग-अलग बाजारों में प्याज 60, 70 और 80 रुपए किलो के भाव खुदरा बाजार में बेची जा रही है।

अगर हालात ऐसे ही रहे तो जल्द ही प्याज की कीमत सैकड़ा लगा लेगी। चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। दुनिया भर के प्याज का 45 फ़ीसदी तो भारत और चीन मिलकर ही उत्पादन करते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती होती है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 287 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज की खेती होती है। बावजूद इसके इस वर्ष महाराष्ट्र, कर्नाटक ,आंध्र प्रदेश में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण प्याज की फसल खराब हो गई और कई स्थानों पर इसकी फसल पिछड़ गई। जिस कारण मंडियों में आवक घट गई है। मंडियों में प्याज की आवक कम होते ही इसके दामों में उछाल आ गया है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी बारिश के कारण ही प्याज की फसल खराब होने की बात कही जा रही है। प्याज का थोक मूल्य ही 45 से 60 रु किलो तक जा पहुंचा है। जिस कारण चिल्लर में इसकी कीमत 70 रु तक पहुंचने लगी है। सितंबर महीने कि शुरुआती दिनों से ही प्याज की कीमतों में उछाल आने लगा था लेकिन लगातार इसकी आवक कम होने से अब तो प्याज ग्राहकों को खूब रुलाने लगी है। आगामी दिनों में त्योहारी मांग के कारण भी भाव के बढ़ने की आशंका जाहिर की जा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो फिर उपभोक्ताओं को 100 रु किलो से कम दाम पर ब्याज नहीं मिलेंगे । अभी भी मध्य प्रदेश और राजस्थान से प्याज की अच्छी क्वालिटी नहीं आ रही और प्याज की पर्याप्त मात्रा का आवक भी नहीं है।

भारी बारिश ने प्याज की फसल को जो नुकसान पहुंचाया है उसी का खामियाजा देश भुगत रहा है। जानकार बताते हैं की प्याज की फसल करीब डेढ़ महीने पिछड़ गई है , इसलिए अब आगामी डेढ़ महीने तक इसकी आवक कमजोर रहेगी। आमतौर पर सितंबर के मध्य तक प्याज की नई फसल आ जाती है लेकिन इस बार इस के डेढ़ महीने पिछड़ने की आशंका है । हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध खराब होने के बाद पाकिस्तान से भी प्याज का आयात बंद कर दिया गया है। अब अगर मौजूदा परिस्थितियों से निपटने भारत चीन, मिस्र जैसे देशों से प्याज का तत्काल आयात करता है तभी कीमतों में स्थिरता आ सकती है, नहीं तो प्याज के भाव इसी तरह बढ़ते चले जाएंगे। हालांकि इससे पहले भी प्याज के बढ़ते दामों को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य शुल्क लागू करने और शुल्क मुक्त आयात जैसे कदम उठाए गए हैं लेकिन फिर भी प्याज की कीमतें नीचे आने की बजाय ऊपर जाती जा रही है । लिहाजा प्याज की बढ़ती कीमतों से फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही। कम सप्लाई और अधिक डिमांड की वजह से भी प्याज की कीमतों में उछाल आने की बात जानकार कह रहे हैं । अचानक से प्याज की बढ़ती कीमतों से परेशान उपभोक्ताओं ने विकल्प के तौर पर जरूरत से कम प्याज खरीदना शुरू कर दिया है । जो पहले 2 किलो 3 किलो प्याज खरीदते थे, अब आधा किलो प्याज खरीद कर गुजारा कर रहे हैं।

थोक मंडी में भी प्याज की आवक कम है। इसलिए कीमतें आसमान छू रही है। भारी बारिश और अब तक नई फसल के ना आने को वजह बताया जा रहा है। वही आयात नहीं होने के कारण विदेशी प्याज भी बाजार में उपलब्ध नहीं है।

दावा है कि सरकार ने प्याज की कीमतें स्थिर करने के लिए कोशिश आरंभ कर दी है लेकिन सरकार के उठाए कदमों का असर फिलहाल तो नहीं दिख रहा। बढ़ती कीमतों से लोग परेशान हैं। पिछले कुछ समय से प्याज और टमाटर की कीमतें उपभोक्ताओं को खासा परेशान करती है। अचानक इनकी कीमतें 10- 20 रुपए लेकर सौ रुपए तक जा पहुंचती है। ऐसा बार-बार होने के बावजूद सरकार द्वारा कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई जा रही। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को समझना होगा कि एक बार इसी प्याज ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था। प्याज एक बार फिर ना रुलाए, इसलिए बेहतर प्रयास की आवश्यकता है, क्योंकि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र और हरियाणा सहित कई राज्यों में मध्यावधि चुनाव होने हैं। उपभोक्ताओं को रुलाने वाला प्याज कहीं शीर्ष में बैठे नेताओं को भी ना रुलाने लगे, इसके लिए जरूरी है कि प्याज व्यापारियों को एक्सपोर्ट की अनुमति दे दी जाए और ऐसा जल्द ही किया जाए , तभी प्याज की कीमतें स्थिर हो पाएगी। फिलहाल तो थाली से प्याज गायब है और लोग प्याज के विकल्प के तौर पर दूसरी सब्जियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सलाद में प्याज का स्थान मूली ले चुका है तो वही प्याजी बड़ा बनाने वाले प्याज की जगह पत्तागोभी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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