
आकाश दत्त मिश्रा
मुंगेली जिले के छोटे से गांव पंढर भठ्ठा की नन्हीं सी माही के हौसले को आज दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर भी सलाम कर रहे हैं। बचपन से ही थैलेसीमिया मेजर पीड़ित माही मुंगेली के अमर शहीद धनंजय सिंह की पोती है। बचपन से ही असाध्य थैलेसीमिया मेजर पीड़ित होने की वजह से माही की विशेष देखरेख की जरूरत हमेशा से रही है और अब उसके पिता अनिल सिंह के साथ पूरे परिवार का यही मकसद है कि किसी तरह माही पूरी तरह स्वस्थ हो जाए और इसके लिए उन्होंने अपनी आर्थिक क्षमता से भी परे जाकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया है। माही की छोटी बहन सौम्या अपना बोन मैरो प्रदान कर रही है। डोनर और रिसीवर के साथ पूरा परिवार 11 जून से दिल्ली में ही ठहरा हुआ है ।अब तक माही 14 कीमो थेरेपी के कठिन दौर से गुजर चुकी है। तीन और कीमोथेरेपी शेष है। जिसके बाद 19 जुलाई को माही का ऑपरेशन होगा और बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
कीमोथेरेपी के दौरान बड़े-बड़े सुरमा पस्त हो जाते हैं लेकिन नन्ही सी माही आज भी पहले की तरह ही हमेशा मुस्कुराती मिलती है।
कीमो थेरेपी के कठिन दौर से गुजरने के दौरान भी माही अस्पताल में खाली वक्त में खूबसूरत पेंटिंग बना रही है। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के चिकित्सक माही के इस अद्भुत हौसले से हैरान हैं और उन्होंने भी उसके हौसले को सलाम करते हुए अस्पताल की दीवारों पर माही द्वारा बनाए गए पेंटिंग को जगह दी है। दरअसल यह पेंटिंग माही के जज्बे और जुनून के प्रतीक हैं, लेकिन इतने भर से सब कुछ हासिल मुमकिन नहीं। अब तक साढ़े पांच लाख रुपए से अधिक का खर्च आ चुका है और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के साथ ही 10 लाख रुपए की जरूरत और पड़ेगी। मुंगेली के अमर शहीद धनंजय सिंह के भतीजे अनिल सिंह पेशे से किसान हैं और उनकी आर्थिक क्षमता इतनी नहीं है कि वे अपनी बेटी के इलाज पर 18 लाख रुपए का खर्च वहन कर सकें।
इसके लिए उन्होंने सभी से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी। मानवीय संवेदना दिखाते हुए कुछ लोगों ने उनकी मदद भी की है लेकिन अब तक हुई मदद ऊंट के मुंह में जीरा समान ही है। मदद छोटी और बड़ी हो सकती है, लेकिन हर मदद अनिल सिंह के इरादे को थोड़ा थोड़ा और मजबूत कर रही है। सत्याग्रह news.in द्वारा माही के संबंध में खबर प्रकाशित करते हुए आर्थिक मदद की अपील की गई थी, जिसके बाद किसी ने 21 रुपये तो किसी ने 5000 रुपये की मदद की है। लेकिन अब तक अनिल सिंह को करीब 8000 रुपये की ही आर्थिक मदद मिल पाई है ,जबकि उन्हें जरूरत लाखों रुपए की है। शहर और देश में ऐसे लाखों दानदाता है जिनके लिए माही की आर्थिक मदद करना कोई कठिन कार्य नहीं है। इसलिए ऐसे सभी दानदाताओं से एक बार फिर अपील की जा रही है कि वे आगे बढ़कर शहीद परिवार की इस नन्हीं गुड़िया की मदद करें ताकि वह पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर लौट सकें। सत्याग्रह news.in के साथ बातचीत में अनिल सिंह ने बताया कि अगर बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफल होता है तो फिर माही पूरी तरह स्वस्थ हो सकती है। 19 जुलाई को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद हर महीने माही की जांच होगी और तीन जांच के बाद ही यह सुनिश्चित हो पाएगा कि ट्रांसप्लांट सफल हुआ है या नहीं । इसलिए हर हाल में परिवार को 4 महीने तक दिल्ली में ही रुकना होगा और इसके लिए बेशुमार पैसों की जरूरत है। परिवार के पास जो कुछ भी था वह माही के इलाज में खर्च हो चुका है ।अब निगाह आम लोगों पर ही है , जिनकी मदद से ही माही का इलाज मुमकिन हो पाएगा। इसलिए हम एक बार फिर अपील करते हैं कि वे माही की मदद के लिए आगे आये और साथ में मौजूद अपील में अंकित मोबाइल नंबर पर पेटीएम करके या फिर उनके अकाउंट में मनी ट्रांसफर कर माही की मदद करें।
इच्छुक दान दाता माही के पिता अनिल सिंह के मोबाइल नंबर 9098991616 पर कॉल या पेटीएम कर सकते हैं। इसके अलावा वे उनके अकाउंट मुंगेली पंजाब नेशनल बैंक के शाखा में आई एफ एस सी कोड PNB0252600
अकाउंट नंबर 252 6 0 0 0 1 0 0 312 048 पर भी आर्थिक मदद प्रदान कर सकते हैं।