आलोक
पिछले कई सालों की गलतियों और योजना कारों की अदूरदर्शिता का ही नतीजा है कि अचानक से उस बिलासपुर का पानी खत्म होता दिख रहा है, जिसके पानी की तारीफ देशभर में हुआ करती थी । लोग यह दावा करते थे कि बिलासपुर रहने के लिए सबसे अच्छा शहर इसलिए भी है क्योंकि यहां प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध है ,लेकिन पिछली सरकार के योजनाकारो की विफलता ही कहेंगे कि यहां बड़े-बड़े दावे के बावजूद योजनाएं असफल हो गई। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल दावा कर रहे थे कि बिलासपुर में 30 साल की योजना बनाकर व्यवस्थाएं की गई है और अब तो 24 घंटे पानी उपलब्ध होगा। अरपा नदी को भी टेम्स बनाया जा रहा था, लेकिन सारी बातें हवा-हवाई साबित हुई और आज स्थिति भयावह है । धरती के नीचे का पानी लगभग खत्म होने को है ।
नगर निगम ने भी अल्टीमेटम जारी कर दिया है कि अब बिलासपुर की जमीन के नीचे बमुश्किल 15 दिन का पानी शेष है। उसके बाद अगर बारिश ना हुई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। बिलासपुर के कुछ इलाकों में अभी भी पानी निकल रहा है तो वही नदी किनारे के कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पहली बार पानी के लिए ऐसी हाहाकार देखा जा रहा है ।इन्हीं में से एक दयालबंद इलाके में भी करीब 2 महीने से पानी के लिए तरस रहे लोगों का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा।
शुक्रवार सुबह कानून को हाथ में लेते हुए यहां के नागरिकों ने नारियल कोठी मोड़ पर चक्का जाम कर दिया। दयालबंद मल्टीपरपज स्कूल के सामने बच्चे, बूढ़े जवान, नर-नारी सब पानी के बर्तन लिए इकट्ठा हुए और स्थाई समाधान की मांग करते हुए रास्ता रोक दिया।हलाकि इस मुख्य मार्ग पर चक्काजाम से वाहनों की लंबी कतारें लग गई। जिसके बाद भागी भागी पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। आंदोलनकारी लोगों ने चीख-पुकार मचाते हुए अपना आक्रोश जाहिर किया तो वही प्रशासनिक अधिकारी उन्हें तसल्ली दिलाते दिखे । जब धरती के नीचे का ही पानी रसातल में जा रहा हो, तब, बार-बार बोर खोदने से पानी आना मुमकिन नहीं है। यह बात निगम के अधिकारी भी जानते हैं। इसीलिए नागरिकों को सिवाय आश्वासन के और कुछ नहीं दिया जा रहा। फिलहाल फौरी राहत देते हुए अतिरिक्त टैंकर की व्यवस्था करने का वादा किया गया ,साथ ही नागरिकों को यह भी बताया गया कि जल्द ही अरपा के लिए योजनाएं तैयार की जाएगी जिसके बाद दयालबंद, नारियल कोठी इलाके में पानी की समस्या खत्म हो जाएगी । काफी देर तक हो हंगामे के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन और समझाइश से शांत हुए नागरिकों ने अपना चक्काजाम समाप्त किया ।
कुछ दिनों पहले देवरीखुर्द चौक पर भी इसी तरह चक्काजाम की कोशिश की गई थी। यानी अब बिलासपुर शहर पाने के लिए युद्ध मोड पर आ चुका है। रह-रहकर ज्वाला कहीं से भी फूट रहा है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की मुसीबत दोहरी हो रही है ।एक तो नागरिकों का गुस्सा झेलना पड़ रहा है, ऊपर से सूख चुके बोरो से पानी निकालना, रेत से तेल निकालना साबित हो रहा है।