
रमेश राजपूत
बिलासपुर – कोटा ब्लॉक के ग्राम पंचायत करहीकछार के वन अधिकार पट्टाधारी किसानों ने इस वर्ष अपनी वन भूमि से प्राप्त धान की खरीदी नहीं होने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। किसानों का आरोप है कि पिछले तीन वर्षों से शासन द्वारा वन पट्टों की भूमि पर उत्पादित धान की खरीदी की जा रही थी, लेकिन इस वर्ष अचानक प्रक्रिया रोक दिए जाने से वे भारी संकट में हैं।किसानों ने बताया कि वे तीन वर्षों से वनाधिकार पट्टे की भूमि में कृषि कर धान उत्पादन कर रहे हैं और शासन के ऑनलाइन पोर्टल में उनकी भूमि दर्ज भी है। इसके बावजूद खरीदी केंद्रों में उनका पंजीयन स्वीकार नहीं किया जा रहा। किसानों का कहना है कि वे समय पर फसल काटकर बैलद्वारा और अन्य साधनों से खरीदी केंद्र तक पहुंचाते हैं, लेकिन ऑनलाइन सत्यापन के अभाव में धान जमा नहीं हो पा रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि करहीकछार के शिवकुमार, सोहरन, बुटेरी, राजाराम, रितेश कमार, रामदयाल सहित अन्य कई किसानों की वन भूमि पूरी तरह मान्य है, फिर भी इस बार खरीदी में किसी तरह की सुनवाई नहीं की जा रही। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो उनकी वार्षिक आय प्रभावित होगी और परिवार आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हो जाएंगे। किसानों ने कलेक्टर से अनुरोध किया है कि वन पट्टाधारी किसानों के धान खरीदी को पूर्ववत बहाल किया जाए तथा सत्यापन प्रक्रिया को सरल कर तत्काल पंजीयन स्वीकृत किया जाए।

ज्ञापन में उन्होंने कहा कि उनके पास पिछले वर्ष बेचे गए धान की पावती भी उपलब्ध है, फिर भी इस वर्ष किसी प्रकार का तकनीकी या प्रशासनिक आधार बताकर खरीदी रोकी जा रही है। किसानों ने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो उनका परिवार गहरे आर्थिक संकट में आ जायेगा।