कोटा

कोटा हत्याकांड का खौफनाक सच… रात में गायब हुआ युवक, तालाब में मिला शव… और फिर खुली एक साजिश की परत-दर-परत सच्चाई,

रमेश राजपूत

बिलासपुर – यह कोई कहानी नही सच्ची घटना है कोटा क्षेत्र के घोड़ामार गांव के 26 वर्षीय युवक धीरज साहू की जो एक साधारण सी रात को अपने पोल्ट्री फार्म में सोने गया था, और फिर कभी घर नहीं लौटा। शुरू-शुरू में परिजनों को लगा कि शायद कहीं काम से बाहर गया होगा। पर जब सुबह उसका बिस्तर खाली मिला और फोन भी लगातार बंद आने लगा, तब गांव में बेचैनी फैलने लगी।परिजनों ने 1 दिसंबर को कोटा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस की टीमें खेतों, सड़कों और फार्म के आसपास तलाश में जुट गईं। लेकिन धीरज कहीं नहीं मिला। समय बीतने लगा और उसके परिवार की चिंता डर में बदलने लगी। 7 दिसंबर की सुबह जब तालाब ने एक खौफनाक राज़ उगला, घोड़ा मार के बांधा तालाब के पास मछुआरों ने पानी में एक शव देखा। सूचना मिलते ही कोटा पुलिस, एसीसीयू, एफएसएल और डॉग स्क्वाड मौके पर पहुँच गए। लोगों की सांसें अटक गईं क्योंकि कुछ घंटों बाद पुष्टि हो गई यह शव धीरज साहू का ही था।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सबको सन्न कर दिया यह एक हत्या थी। नृशंस, योजनाबद्ध और बेहद क्रूर। अब मामला पूरी तरह बदल चुका था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (IPS) ने इसे संवेदनशील मामला मानते हुए एक विशेष टीम बनाई। परन्तु पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि कोई चश्मदीद नहीं, कोई प्रत्यक्ष सुराग नहीं, रात के अंधेरे में सब कुछ हुआ था, जांच की शुरुआत वहां से हुई जहाँ धीरज आखिरी बार देखा गया था। टीम ने गांव और आसपास के सैकड़ों CCTV फुटेज खंगाले। धीरज के परिवार, दोस्तों, परिचितों सभी से पूछताछ की गई। सैकड़ों कॉल डिटेल्स और हजारों मोबाइल नंबरों की तकनीकी जांच की गई। धीरे–धीरे पुलिस को दो नाम बार-बार एक ही बिंदु की ओर इशारा करने लगे अनिल साहू और जगन्नाथ उर्फ अंगद साहू। हर सुराग एक कहानी कह रहा था… और आखिरकार सच्चाई सामने आई दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई।

पहले उन्होंने बातें टालने की कोशिश की, परंतु जब पुलिस ने तकनीकी साक्ष्य सामने रखे, तो उनकी हिम्मत टूट गई। दोनों ने कबूल किया हमने ही धीरज को मारा है और इसके साथ ही खुलने लगी पूरी सच्चाई….करीब एक वर्ष पहले किसी विवाद को लेकर दोनों आरोपियों के मन में धीरज के खिलाफ गहरी रंजिश पनप रही थी। बदला लेने की इच्छा ने उन्हें हत्या तक पहुँचा दिया। 30 नवंबर की रात 11:30 बजे दोनों आरोपी बाइक CG 10 BG 1727 से आए सिविल साहू के प्लॉट के पास पहुँचे, मोटर पंप निकालने का बहाना बनाकर धीरज को बुलाया मौका मिलते ही दोनों ने चाकू से वारकर उसकी हत्या कर दी।

फिर उन्होंने एक खौफनाक योजना अपनाई शव पर भारी पत्थर बांधा, उसे घसीटकर बांधा तालाब में फेंक दियाधीरज का मोबाइल और कपड़े कोरी डेम में फेंक दिए बाइक छिपा दी ताकि कोई शक न हो, उनका सोचना था कि धीरज का रहस्य हमेशा के लिए पानी में डूब जाएगा। पर पुलिस की तेज और गहन जांच ने उनकी पूरी साजिश उजागर कर दी। पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू, मोटरसाइकिल CG 10 BG 1727, शव में बांधा गया पत्थर जब्त किया। 11 दिसंबर को दोनों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया। यह घटना एक चेतावनी भी है कि अपराध चाहे कितना भी छिपकर क्यों न किया जाए, सच्चाई एक दिन सामने आ ही जाती है। इस मामले में पुलिस टीम ने सतत प्रयास कर सफलता को प्राप्त किया, जिसमें प्रमुख रूप से थाना प्रभारी निरीक्षक तोप सिंह नवरंग, एसीसीयू प्रभारी निरीक्षक अजहरुद्दीन, उप निरीक्षक हेमंत आदित्य, चौकी प्रभारी बेलगहना हेमंत सिंह, एफएसएल, डॉग स्क्वाड तथा आरक्षक दल की सतर्कता, तकनीकी समझ और अथक मेहनत ने एक अंधे कत्ल को सुलझाया।

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