
उदय सिंह
बिलासपुर – यह घटना है सकरी क्षेत्र के एक साधारण युवक कामेश्वर निर्मलकर की, जो सपनों, लालच और अनजाने भरोसे के बीच फंसकर खतरनाक साइबर ठगों के जाल में उलझ गया। यह जाल इतना भयावह था कि अंततः उसने अपनी जान तक गंवा दी। 18 जुलाई 2023 की शाम उसलापुर और घुटकू के बीच रेलवे लाइन पर एक युवक ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। शुरुआत में यह एक सामान्य रेल हादसा लगा, लेकिन जब मृतक की जेब से सुसाइड नोट मिला, तब पूरी कहानी सामने आई। सुसाइड नोट ने पुलिस को साइबर ठगी की उस अंधेरी दुनिया तक पहुंचा दिया, जहां मासूम लोगों को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जाता है। कामेश्वर के जीवन में यह सब तब शुरू हुआ, जब उसके घर के पते पर इंडियन बैंक का एक एटीएम कार्ड पहुंचा। हैरानी की बात यह थी कि वह कभी इंडियन बैंक गया ही नहीं था। उसने यह बात अपने पिता, भाई और दोस्तों को बताई। एटीएम लिफाफे पर लिखे मोबाइल नंबर पर जब उसने कॉल किया, तो दूसरी ओर से उसे टाल दिया गया और बैंक जाकर जानकारी लेने की सलाह दी गई। इसी बीच उसी रात उसके मोबाइल पर एक व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को किसी मैडम का आदमी बताया और कहा कि उसकी मैडम को गर्भवती करना है, बदले में वह जितनी चाहे उतनी रकम देगी। यह सुनकर कामेश्वर पहले तो चौंका, फिर लालच और डर के बीच उसने हामी भर दी। यहीं से उसकी जिंदगी का पतन शुरू हो गया। ठगों ने उसे एक मोबाइल नंबर दिया और उसी नंबर से बैंक खाता खुलवाने का दबाव बनाया। पहले उसने इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक में खाता खुलवाया और पासबुक की फोटो व्हाट्सएप पर भेज दी। फिर नाम में गलती का बहाना बनाकर पंजाब नेशनल बैंक में खाता खुलवाया गया। उसके बाद केनरा बैंक में भी खाता खुलवाने को मजबूर किया गया। हर बार वह मासूमियत से पासबुक, अकाउंट डिटेल और यहां तक कि ओटीपी तक ठगों को देता चला गया। 14 जुलाई को बैंक से फोन आया और उसे शाखा में बुलाया गया। वहां बैंक कर्मचारियों ने बताया कि उसके खातों में भारी रकम का लेनदेन हो रहा है और तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर किया जा रहा है। कामेश्वर यह सुनकर घबरा गया।
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उसने बताया कि उसे इन पैसों की कोई जानकारी नहीं है। बैंक अधिकारियों की पूछताछ ने उसके डर को और बढ़ा दिया। उसे समझ आ गया कि वह साइबर ठगों के जाल में बुरी तरह फंस चुका है। मानसिक तनाव, बदनामी का डर और कानूनी कार्रवाई की आशंका ने उसे अंदर से तोड़ दिया। चार दिन तक वह इसी डर में जीता रहा। आखिरकार 18 जुलाई को उसने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मर्ग जांच के दौरान सुसाइड नोट, मोबाइल कॉल डिटेल और बैंक लेनदेन की कड़ियां जुड़ती चली गईं। जांच में सामने आया कि अलग-अलग मोबाइल नंबरों के जरिए साइबर ठग कामेश्वर के खातों का इस्तेमाल अवैध लेनदेन के लिए कर रहे थे। सकरी पुलिस ने मामले में धारा 306 और 34 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर लिया है और मोबाइल नंबरों के आधार पर आरोपियों की तलाश जारी है। यह घटना केवल एक युवक की मौत नहीं, बल्कि एक कड़वा सबक है। साइबर ठग कमीशन, इनाम, बिना मेहनत के पैसे और लालच के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। बैंक खाता खोलवाकर उसे म्यूल अकाउंट बना देते हैं और जब मामला खुलता है, तो सबसे पहले खाता धारक ही कानूनी शिकंजे में आता है। पुलिस हमेशा अपील भी करती है कि कोई भी व्यक्ति अपने बैंक खाते, ओटीपी या दस्तावेज किसी अनजान को न दे। बिना मेहनत के पैसे का लालच देने वाले लोग अक्सर ठग होते हैं। समय रहते सावधानी ही ऐसे खतरनाक साइबर जाल से बचने का एकमात्र रास्ता है।