
भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर – कोरोना काल मे संजीवनी बूटी का काम करने वाली जज्बा की टीम ने एक बार एक मासूम की जान बचाने अहम योगदान दिया है। कहने को तो शहर में काफी सारी संस्थाएं जनहित में कार्य कर रही है। लेकिन बात जब मरीजो के जीवन बचाने की होती है। तो शहर की जज्बा वेलफेयर सोसायटी के जांबाज चौबीसो घन्टे तत्पर रहते हैं। एक ऐसा ही मामला बीते दिनों शहर के एक निजी हॉस्पिटल में आया था। जहाँ एक प्री मेच्योर 7 दिन के बच्चे के लिए दुर्लभ ओ निगेटिव प्लेटलेट्स की आवश्यकता थी।

परिजनों के लाख कोशिशों के बाद भी उन्हें बच्चे के लिए प्लेटलेट्स नही मिल रहा था। इधर भटकते हुए परिजन जज्बा के संचालक संजय मतलानी से मिले। जिसके बाद उन्होंने तत्काल ही बच्चे के ब्लड प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने जुट गए। इस दौरान भी सुखद संयोग यह रहा है। कि उसी दिन स्वैच्छिक रक्तदाता वेदांत साहू ने निजी ब्लड बैंक में उसी ओ निगेटिव ब्लड ग्रुप का ही ब्लड डोनेट किया था। जिसके बाद जज्बा के संजय मतलानी ने ब्लड बैंक से बात कर तत्काल मासूम के लिए प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने कहा। जहां करीब 4 घंटे की मेहनत के बाद आखिर प्लेटलेट्स बनकर तैयार हुई तब जाकर दो दिनों से ब्लड प्लेटलेट्स के लिए भटक रहे परिजनों ने राहत की सास ली है। इसके साथ ही एकबार फिर जज्बा की पूरी टीम ने एक और मासूम की जान बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। आपको बता दे कि जज़्बा के द्वारा शुरू से ही छोटे बच्चों , गर्भवती महिलाओं सहित थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए पिछले लंबे अरसे से काम किये जाते रहे हैं। उसी कड़ी में इस नवजात शिशु की जान बचा कर एक बार फिर से जज़्बा ने साबित कर दिया कि जज़्बा है तो जीवन सुरक्षित है।