आलोक
हावड़ा से मुंबई जा रही मेल की बोगी एस5 और एस 7 में आरपीएफ को ढेर सारे बच्चे नजर आए ।गुरुवार को राजनांदगांव रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले ट्रेन में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को देखकर आरपीएफ को संदेह हुआ और जब उन्होंने पूछताछ की तो उनका संदेह भी सही साबित हुआ। इसके बाद 33 बच्चों को आरपीएफ ने राजनांदगांव रेलवे स्टेशन में उतारा। मानव तस्करी के लिए इन बच्चों को ले जाए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है ।आरपीएफ ने यह कार्यवाही एक महिला वकील की सूचना पर की, जिन्होंने फोन कर ट्रेन में 8 से 10 वर्ष के बीच बच्चों को ले जाए जाने की सूचना दी थी। हैरानी इस बात की है कि सभी बच्चे मुस्लिम है ।
रेस्क्यू के बाद सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया है। बताया जा रहा है कि करीब 10 युवक इन बच्चों को मुंबई ले जा रहे थे। जिनकी संदिग्ध गतिविधि देखकर S5 में सवार महिला वकील को संदेह हुआ और स्मिता नाम की महिला वकील ने इसकी सूचना तत्काल रायपुर रेलवे एसपी मिलना कुर्रे को दी। जिसके बाद उन्होंने राजनांदगांव पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी कार्रवाई करते हुए बच्चों को ट्रेन से रेस्क्यू किया। बच्चों ने बताया कि उन्हें कुछ युवक अपने साथ मुम्बई ले जा रहे हैं ।जब 10 के करीब लोगों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि वे बच्चों को मदरसा में पढ़ाने जा रहे थे लेकिन जब उनसे आईडी मांगा गया तो वे कोई आईडी नहीं पेश कर पाए। पुलिस का मानना है कि यह चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़ा हुआ मामला लग रहा है। युवको से पूछताछ में मामले का खुलासा संभव होगा । वहीं पुलिस बच्चों के परिवार से भी संपर्क करने की कोशिश कर रही है। एक तरफ मोदी सरकार मुस्लिम वेलफेयर के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं ला रही है, वहीं गरीबी और अशिक्षा से ग्रस्त मुस्लिम समाज के बच्चों को इसी तरह कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने का माध्यम बना रहे हैं। एक महिला वकील की तत्परता से 33 बच्चों की जिंदगी खराब होने से बच गई।