बिलासपुरशिक्षा

बिलासपुर में 9 सौ से अधिक बच्चों को 12वीं तक मिला शिक्षा का अधिकार,सरकार के फैसले से अभिभावकों की भी चिंताएं हुई दूर

डेस्क

छत्तीसगढ़ सरकार के हालिया फैसले से बड़ी संख्या में बच्चों और अभिभावकों के चेहरे पर खुशी लौटी है। इस फैसले से बिलासपुर से 9 सौ 66 बच्चे ऐसे हैं जो आरटीई के तहत आठवीं क्लास से नवीं में पढ़ने जा रहे हैं। अभिभावकों और बच्चों को मार्च से ही ये चिंता सता रही थी कि अब आगे क्या होगा। क्योंकि सन् 2011 में पहली बार शिक्षा के अधिकार के तहत पहली क्लास में एडमिशन पाये बच्चे इस साल आठवीं क्लास पास कर लिये थे। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सिर्फ आठवीं क्लास तक गरीब तबकों के बच्चों के लिये सीट आरक्षित रहती थीं। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आठवीं क्लास में उत्तीर्ण हुए बच्चों और उनके अभिभावकों की सारी चिंताएं दूर कर दी हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा का अधिकार के तहत अब विद्यार्थी अब 12वीं क्लास तक पढ़ सकेंगे। आरटीई के तहत बिलासपुर जिले में ही नौ सौ छियासठ बच्चों को इस साल 9वीं में पढ़ने की सहूलियत मिलने जा रही है। अभिभावकों और बच्चों ने सरकार को इस फैसले के लिये धन्यवाद दे रहे हैं।श्रेया की चिंता हुई दूर- श्रेया आठवीं क्लास में 82 प्रतिशत नंबर पाने के बावजूद चिंतित थी। लेकिन उसे चिंता नंबरों की नहीं बल्कि स्कूल छोड़ने की थी। मार्च में उसे पता चला कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यह उसका स्कूल में आखिरी साल है। तब वह खूब परेशान हुई। क्योंकि अब उसे स्कूल छोड़ना पड़ रहा था । लेकिन सरकार के एक फैसले ने श्रेया की सारी चिंताएं खत्म कर दीं। छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क शिक्षा को 12वीं क्लास तक कर दिया है। सरकार के फैसले से खुश श्रेया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है।
बंधवापारा में रहने वाली श्रेया जयसवाल बताती है कि वह बिलासपुर के प्रतिष्ठित डीएवी स्कूल में पढ़ती है। सन् 2011 में पहली क्लास में आरटीई के तहत उसका एडमिशन हुआ। उस वक्त मुझे आरटीई के बारे में कुछ पता नहीं था। आठवीं क्लास पास होते ही मालूम हुआ कि अब आगे की पढ़ाई के लिये फीस देनी होगी। मेरे पापा छोटी सी परचूनी की दुकान चलाते हैं। जिससे महीने की आमदनी मुश्किल से चार हजार रूपये होती है। ऐसे में उनके लिये फीस भर पाना संभव नहीं था। मेरी परेशानी ये थी कि आठवीं तक इंग्लिस मीडियम में पढ़ने के बाद स्कूल छोड़ना पड़ रहा था। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर लग रहा था कि अब मैं नहीं पढ़ पाऊंगी। लेकिन सरकार के फैसले से श्रेया का पूरा परिवार उत्साहित है।श्रेया के पिता तिहारीराम जयसवाल कहते हैं कि बेटी को उदास देखकर किसी काम में मन नहीं लगता था। मेरी बेटी का सपना है कि वह डॉक्टर बने। एक बार तो ऐसा लगा कि उसके सपने को पूरा नहीं कर पाऊंगा। मैं चार हजार रूपये मुश्किल से कमा पाता हूं। स्कूल की फीस आखिर कहां से भरता। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो संवेदनशीलता दिखायी है उससे मेरी बेटी के अलावा राज्य के सभी बच्चों को बहुत फायदा होगा। श्रेया की मां श्रीमती सरोजनी जयसवाल ने बताया कि जब उनको सरकार के फैसले का पता चला तो आंखों में आंसू आ गये। सच में हमारी बहुत बड़ी चिंता सरकार ने दूर कर दी है।

error: Content is protected !!
Letest
जांजगीर-चांपा पुलिस ने अंतरजिला केबल तार चोरी गिरोह का किया भंडाफोड़....11 आरोपी गिरफ्तार अवैध रूप से फ्लाई ऐश डंपिंग का खुलासा, 6 करोड़ की संपत्ति जब्त...पर्यावरण को क्षति पहुँचाने का मामला पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 115 शहरों में अटल परिसरों का होगा लोकार्प... बिलासपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा... रोजगार सहायक बर्खास्त जनदर्शन में बड़ी संख्या में पहुँचे फरियादी... सीपत और मस्तूरी से भी पहुँचे लोग, रखी अपनी अपनी समस्याए... जेएसडब्ल्यू प्लांट के गेट के सामने प्रदर्शन करने वाले 2 आरोपी गिरफ्तार... अवैध पैसों की मांग करने का... ट्रक चालक से 13 लाख की लूट का मामला....पुलिस ने एक आरोपी को झारखंड से किया गिरफ्तार, अन्य फरार आरोपि... भ्रष्टाचार पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव का कड़ा रुख... तीन अभियंता निलंबित, फाउंडेशन क्रिकेट एकेडमी खेल मैदान में आज से शुरू होगा सोसाइटी प्रीमियर लीग, फ्लड लाइट क्रिकेट प्रतिय... एएसपी, डीएसपी ट्रांसफर: 60 पुलिस अधिकारियों का तबादला...इन जिलों में किया गया फेरबदल,