
डेस्क
बिलासपुर के तिफरा में आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता वंदना बारमाटे को मिलने वाला मानदेय ही सबसे बड़ा सहारा है। वे बताती हैं कि शादी के एक साल बाद ही पति की मृत्यु से जैसे विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा था। घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ही कंधे पर आ गयी। वंदना बताती हैं कि मेरे लिये एक-एक रूपये की क्या कीमत है मैं ही जानती हूं। सरकार ने मानदेय पंद्रह सौ रूपये बढ़ाकर मेरी तो बहुत मदद की है। यह कहते हुये वंदना भावुक हो उठती हैं। अपने को संभालते हुए वंदना तुरंत मुस्करा भी उठती हैं। वे कहती हैं कि सच बताऊं तो पति के गुजरने के बाद जीवन बहुत कठिन लगने लगा था।
लेकिन आंगनबाड़ी में बच्चों के बीच आकर जैसे अपने सारे दुख भूल चुकी हूं। मेरी 14 साल की बेटी है। वह इस साल 11वीं में आयी है। वैसे तो वह शासकीय स्कूल में पढ़ती है, तो फीस का खर्च नहीं है। लेकिन घर के खर्चे, बेटी के भविष्य के लिये तो पैसे जोड़ना ही है। मेरे लिये तो थोड़ी सी भी राहत बहुत मायने रखती है। वंदना बताती हैं कि 11 साल पहले जब आंगनबाड़ी में आयी थी तब मुश्किल से डेढ़ हजार रूपये मिलते थे। लेकिन अब मानदेय बढ़ने के बाद साढ़े 6 हजार रूपये मिलेंगे। मैं तो मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी की बहुत आभारी हूं जिन्होंने हमारे बारे में चिंता की