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विश्व पर्यावरण दिवस पर निकाली गई जन जागरण रैली, बदलते क्लाइमेंट पर सबने की चिंता जाहिर

आलोक

जिस तेजी के साथ दुनिया का मौसम बदल रहा है ,उसने सब के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। प्रदूषण और मानवीय भूल से दुनिया की स्थिति बेहद चिंताजनक होती जा रही है। भारत, खासकर बिलासपुर की हालत भी इससे परे नहीं है । यहां लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है। पारा जितना ऊपर जा रहा है, जमीन के नीचे का पानी उतनी ही तेजी से पाताल की ओर भाग रहा है। कई सर्वे यह साबित कर चुके हैं कि अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो फिर बिलासपुर शहर इंसानों के रहने लायक नहीं रह जाएगा, और लोगों को यहां से पलायन करना पड़ेगा।

तब तरह तरह के विकास के कार्य किसी काम के नहीं रह जाएंगे ,इसलिए अब बिलासपुर के बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध वर्ग को भी समझ में आ गया है कि पर्यावरण संरक्षण बिलासपुर के साथ उनके अस्तित्व के लिए भी बेहद जरूरी हो चुका है। यही कारण है कि बुधवार का विश्व पर्यावरण दिवस इस बार सभी के लिए विशेष अहमियत भरा रहा। विश्व पर्यावरण दिवस पर कई आयोजन हुए। सुबह अलग-अलग संगठनों द्वारा पर्यावरण जन जागरण रैली निकाली गई।

ऑक्सीजन के अलावा स्कूल कॉलेज के बच्चों, एनसीसी कैडेट्स, कोचिंग क्लास के स्टूडेंट ,लायंस क्लब, रोटरी क्लब ,आर्य समाज , प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी, आईएमए, अपोलो जैसे तमाम संगठन संयुक्त रूप से सीएमडी कॉलेज मैदान में इकट्ठा हुए। जहां महापौर किशोर राय, लोरमी विधायक ठाकुर धर्मजीत सिंह, डॉक्टर देवेंद्र सिंह ने अपनी बात रखते हुए चिंता जाहिर की कि किस तरह पूरी दुनिया का पर्यावरण मानवीय भूलों की वजह से बदल रहा है और इस आत्मघाती कदम से मानव और धरती का अस्तित्व खतरे में है, इसलिए अभी भागीरथी प्रयास की आवश्यकता है। बिलासपुर के हालात पर भी वक्ताओं ने यहां अपनी बातें रखी। इसके बाद सुबह करीब 6:15 बजे पर्यावरण जन जागरण रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। करीब एक हजार से अधिक लोगों ने इस रैली में हिस्सा लिया । यह रैली सीएमडी कॉलेज मैदान से निकलकर पुराना बस स्टैंड चौक, तेलीपारा ,मानसरोवर चौक, गोल बाजार, सदर बाजार, देवकीनंदन चौक होते हुए रिवरव्यू पहुंची ।

यहां नेचर ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एक बार फिर शहर के प्रबुद्ध वर्ग और राजनीतिक व्यक्तित्व ने अपनी बातें रखी । पूरी रैली में विधायक शैलेश पांडे और महापौर किशोर राय शामिल रहे ,,जिससे उनकी पर्यावरण को लेकर उनकी चिंता को समझा जा सकता है। अलग-अलग संगठनों ने आने वाले बरसात के मौसम में किए जाने वाले प्रयासों पर जोड़ दिया और हर आदमी से अपील की कि वे अवश्य पौधा लगाए और पूरी जिम्मेदारी के साथ उसका संरक्षक भी करें। वही आने वाले बरसात के मौसम में एक एक बूंद पानी को बचाने की भी अपील की गई। अरपा नदी को किस तरह पुनर्जीवित किया जाए, इस पर भी वक्ताओं ने अपनी राय रखी।

वैसे तो हर साल विश्व पर्यावरण दिवस पर इसी तरह के आयोजनों के माध्यम से वक्ता अपनी चिंता जताते हैं, लेकिन इस बार बिलासपुर में हालात करो या मरो की स्थिति वाली है। अगर इस बार भागीरथी प्रयास नहीं हुआ तो फिर लोगों को बिलासपुर छोड़कर भागना पड़ सकता है। इसलिए अब यह सोच छोड़ना होगा कि पर्यावरण और जल संरक्षण, सरकार और प्रशासन के साथ कुछ चुनिंदा लोगों की जिम्मेदारी है। अगर आपको पानी चाहिए और खुले में ऑक्सीजन भी, तो फिर इसके लिए अपनी जिम्मेदारियों को भी समझना होगा । जितने जागृत आप अपने अधिकारों को लेकर है, उतनी ही जागृति कर्तव्यों को लेकर भी निभानी होगी ,तभी यह शहर बचेगा ,यह धरती बचेगी।

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