
माननीय न्यायालय ने स्पीड ब्रेकर हटाने का आदेश दिया है। नगर निगम और पीडब्ल्यूडी तो इस पर सहमत हो चुकी है लेकिन रेलवे शायद खुद को समानांतर प्रशासन मानती है
बिलासपुर। अलोक अग्रवाल
सड़क पर बेतहाशा भागते वाहनों की गति पर अंकुश लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए गए लेकिन यही स्पीड ब्रेकर लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गए । इनके ऊपर से गुजरने के दौरान जिस तरह हिचकोले लगते हैं उससे स्पांडिलाइसिस, गर्दन और कमर की कई अन्य बीमारियां लोगों को हो रही है। बच्चों और महिलाओं को इस पर से गुजरते हुए खासी परेशानी होती है तो वहीं मरीजों का तो हाल बेहाल हो जाता है ।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश आ चुका है ।वही एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने तत्काल सभी सड़कों से स्पीड ब्रेकर हटाने के निर्देश दिए है। नगर निगम ने निर्देश का पालन भी शुरू कर दिया है ।पुलिस लाइन और कई अन्य इलाकों में स्पीड ब्रेकर हटा दिए गए हैं। नगर निगम के साथ पीडब्ल्यूडी भी लगातार सड़कों से स्पीड ब्रेकर हटाने का काम कर रहा है। कई सड़कों पर बड़े-बड़े बंपर मौजूद हैं जो स्पीड को कम करने की बजाय दुर्घटना को अधिक आमंत्रित कर रहे हैं ।लोगों ने हीं मांग और आंदोलन कर इन स्पीड ब्रेकर की संख्या बढ़ाई है ।लेकिन अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इन्हें हटाना है लेकिन इस दिशा में अधिकारियों की मनमानी देखी जा सकती है ।हाल ही में रेल्वे क्षेत्र के वायरलेस कॉलोनी, बड़ा गिरजा चौक से तितली चौक और रेलवे अस्पताल रोड में नए सिरे से डामरीकरण किया गया लेकिन यहां जानलेवा बन रहे ब्रेकर को हटाने की जगह नए ब्रेकर बना दिए गए ।
पहले भी रेलवे क्षेत्र में भारत माता स्कूल और सेंट्रल स्कूल के पास बने ज़िगजैग रोड ब्रेकर परेशान करने वाले थे भारत माता स्कूल के पास कई टुकड़ों में बंटे रोड ब्रेकर को अब एक बड़े रोड ब्रेकर में तब्दील कर दिया गया है लेकिन मापदंड के विपरित इस निर्माण से हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है ।रेलवे क्षेत्र में अभी डीआरएम कार्यालय और सेंट्रल स्कूल के पास जिगजैग ब्रेकर बना हुआ है जो वाहन सवारों के लिए खतरनाक है ।इससे तेज गति से चलने वाली गाड़ियां अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। ब्रेकर की वजह से रीड की हड्डी को सबसे अधिक नुकसान पहुंच रहा है जिसे देखते हुए माननीय न्यायालय ने उन्हें हटाने का आदेश दिया है। नगर निगम और पीडब्ल्यूडी तो इस पर सहमत हो चुकी है लेकिन रेलवे शायद खुद को समानांतर प्रशासन मानती है इसलिए रेल अधिकारियों को अलग से किसी और आदेश की शायद प्रतीक्षा है।