रेलवे

2023 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी रैपिड रेल, योजना पर काम शुरू

डेस्क

160 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से दौड़ने वाली रैपिड रेल दिल्ली से मेरठ, अलवर, पानीपत ही नहीं, बल्कि पांच अन्य रूटों पर भी दौड़ेगी। यह रूट हरियाणा व उत्तर प्रदेश के अनेक शहरों को जोड़ेगा। एनसीआर परिवहन निगम ने इन पांचों कॉरिडोर को 2032 के लिए बनाई गई कार्ययोजना में शामिल कर लिया है।82 किमी लंबा दिल्ली-मेरठ, 164 किमी लंबा दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर व 103 किमी लंबा दिल्ली पानीपत कॉरिडोर रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम आरआरटीएस फेज-1 का हिस्सा है, जिनपर काम शुरू भी हो गया है। 2023 तक 17 किमी के ट्रैक पर रैपिड रेल का परिचालन भी शुरू हो जाएगा। खास बात यह कि फेज-1 के इन निर्धारित रूटों के साथ ही आरआरटीएस का अगला चरण भी तय कर लिया गया है। फेज-2 में रैपिड रेल दिल्ली से पलवल, रोहतक और बड़ौत भी जाएगी। इस फेज में पांच कॉरिडोर बनाए जाएंगे। पहला, दिल्ली-फरीदाबाद-बल्लभगढ़-पलवल। दूसरा, दिल्ली-बहादुरगढ़-रोहतक। तीसरा, दिल्ली-शाहदरा-बड़ौत। इन तीन नए रूटों के साथ गाजियाबाद से भी दो नए रूटों पर रैपिड रेल कॉरिडोर का विस्तार होगा। गाजियाबाद से खुर्जा के बीच चौथा और हापुड़ के बीच रैपिड रेल का पांचवां कॉरिडोर बनाया जाएगा। एनसीआर के सभी हिस्सों में यातायात का दबाव कम करने के लिए यह सभी कॉरिडोर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड द्वारा निर्धारित किए गए हैं। सबकुछ ठीक रहा तो रैपिड रेल मार्च 2024 से चलने लगेगी और दिल्ली से मेरठ तक का किराया 165 रुपये होगा। एसी कोच में बैठकर 82.13 किमी का सफर सिर्फ 60 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। रैपिड रेल की गति करीब 160 किमी प्रति घंटा होगी, जो मेट्रो से दोगुनी है। दिल्ली से मेरठ के बीच 24 स्टेशन होंगे। डीपीआर के मुताबिक, एक बिजनेस कोच के अलावा महिलाओं व दिव्यांगों के लिए अलग से कोच होंगे। बिजनेस क्लास के एकमात्र कोच में सुविधाएं ज्यादा रहेंगी। हालांकि, डीपीआर में इसका किराया तय नहीं किया गया है।दिल्ली में सराय काले खां से शुरू होकर कौशांबी के रास्ते कॉरिडोर गाजियाबाद में प्रवेश करेगा। मदन मोहन मालवीय मार्ग के किनारे-किनारे साहिबाबाद तक बनेगा। रेलवे लाइन से इसे टर्न किया जाएगा। फिर कॉरिडोर रेलवे लाइन के साथ बनेगा। वसुंधरा के पास हिंडन रेलवे पुल से मोड़ते हुए एलिवेटेड रोड के ऊपर से इसे जीटी रोड स्थित मेरठ तिराहे तक बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट में 31632 करोड़ रुपए तक का खर्चा आ सकता है। इसमें हर स्टेशन के बीच दस किलोमीटर का फासला होगा।देश की यह पहली रेल परियोजना है, जिसमें एक ट्रैक पर दो तरह की ट्रेन दौड़ेंगी। मेरठ में चार स्टेशनों पर रैपिड रेल व 12 स्टेशनों पर मेट्रो का ठहराव होगा। बेगम पुल कॉमन स्टेशन होगा। सरायकालेखां से दुहाई तक हर पांच मिनट में ट्रेन मिलेगी। इसके संचालन में यूरोपियन ट्रेन सिग्नल सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के सीपीआरओ सुधीर शर्मा ने बताया कि मार्च 2024 से रैपिड रेल चलने लगेगी। किराया प्रति किमी दो रुपये होगा। रैपिड रेल के जरिये न सिर्फ मेट्रो व रेल से भी कम समय में अपने गंतव्य की दूरी तय की जा सकेगी, बल्कि अधिक सुविधाएं भी यात्रियों को मिलेंगी। खास बात यह भी है कि प्रोजेक्ट को परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकृत करके क्रियान्वित किया जाएगा। एनसीआर परिवहन निगम के मुताबिक दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के तैयार होने के बाद दिल्ली से मेरठ तक की दूरी साठ मिनट से भी कम समय में तय की जा सकेगी। अगर किसी यात्री को रैपिड रेल से बीच में उतर कर किसी दूसरे परिवहन की सेवाएं लेनी हैं तो भी उसे दिक्कत नहीं होगी।कॉरिडोर पर बनने वाले 18 स्टेशनों में से 12 मेट्रो स्टेशनों से जुड़े होंगे, तो कई स्टेशनों की कनेक्टिविटी एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन व बस अड्डे से होगी। दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इससे न केवल दिल्ली का प्रदूषण कम होगा, बल्कि यातायात जाम से भी काफी हद तक निजात मिल सकेगी।कॉरिडोर से करीब एक लाख वाहनों से लगने वाले जाम व निकलने वाले धुएं से राहत मिलने की संभावना है। रैपिड रेल की खासियत भी मेट्रो ट्रेन व भारतीय रेल से कहीं अत्याधुनिक होगी।सुरक्षा के लिए सीसीटीवी व सर्विलांस सिस्टम तो होगा ही, मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग के प्वाइंट भी होंगे। सामान के लिए अलग से जगह होगी। ट्रेन में न केवल महिला कोच बल्कि बिजनेस क्लास की भी व्यवस्था रहेगी।
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट का लगभग 25 किलोमीटर का हिस्सा मेरठ से ही गति पकड़ेगा। इसके लिए मेरठ में इंजीनियर तैनात कर प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग होगी। 182 किलोमीटर के इस प्रोजेक्ट में मेरठ की सीमा में 25 किलोमीटर का हिस्सा आ रहा है। इसके अंतर्गत 12 स्टेशन सहित एक डिपो भी है। इसको देखते हुए मेरठ में फील्ड कार्यालय खोला गया है। इससे पहले सभी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर अन्य सभी कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही है।
125 किलोमीटर की सीमा में स्टेशन
मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दीनगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, डोरली, मेरठ उत्तर, मोदीपुरम (स्टेशन कम डिपो)।

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