
मस्तूरी विधानसभा के हारे हुए कांग्रेसी प्रत्याशी और लोक कलाकार दिलीप लहरिया ने भी लोकसभा टिकट की दावेदारी में अपना नाम उछाल कर हलचल पैदा कर दी है

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली आशातीत सफलता से कांग्रेसी बेहद उत्साहित है और टीवी चैनल की सर्वे रिपोर्ट में भी यह दावा किया जा रहा है कि प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को इस बार 6 सीटें मिल सकती है जबकि पिछली मर्तबा भाजपा 10 सीटों पर काबिज होने में कामयाब हुई थी और कांग्रेस के खाते में सिर्फ 1 सीट ही आई थी इस बार कांग्रेस को 5 सीटों का इजाफा हो सकता है कांग्रेस के पक्ष में हवा को देखते हुए लगातार नए दावेदार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं मस्तूरी विधानसभा के हारे हुए कांग्रेसी प्रत्याशी और लोक कलाकार दिलीप लहरिया ने भी टिकट की दावेदारी में अपना नाम उछाल कर हलचल पैदा कर दी है लहरिया जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट में संभावना तलाश रहे दिलीप लहरिया विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे मौजूदा विधायक होने के बावजूद दिलीप लहरिया सिर्फ डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी से ही पीछे नहीं बल्कि बसपा के जयेन्द्र सिंह पटले भी उनसे आगे थे अपने विधानसभा में ही अपनी सीट नहीं बचा पाने वाले दिलीप लहरिया की दावेदारी को पार्टी कितनी गंभीरता से लेती है यह अलग बात है लेकिन चुनाव से पहले अपनी दावेदारी पेश कर दिलीप लहरिया ने जहां संभावनाएं तलाशने शुरू कर दिए है वहीं उनके इस दावे से उन सभी संभावित प्रत्याशियों के कान भी खड़े हो गए हैं जो कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव की दौड़ में शामिल होने का सपना संजोये बैठे हैं। ये हड़बड़ी शायद इसलिए है क्योंकि इस बार कांग्रेस के पक्ष में हवा बताई जा रही है लेकिन जानकार यह भी बताते हैं कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में वोटिंग का पैटर्न बदला हो सकता है सर्वे रिपोर्ट में अब भी मोदी मैजिक कायम होने की बात कही जा रही है 68% मतदाताओं की पहली पसंद अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं ऐसे में मुमकिन है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी अपने पक्ष में हवा होने का जो आकलन कर रहे हो हैं वह हकीकत से दूर हो लेकिन विधानसभा चुनाव में जिस तरह के परिणाम सामने आए उसने सभी चुनावी पंडितों और सर्वे रिपोर्ट्स की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं ।
फिलहाल तो दिलीप लहरिया ने गेंद दूसरे के पाले में डाल दिया है पार्टी उनकी दावेदारी को कितनी गंभीरता से लेती है यह आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा वैसे लगता नहीं कि विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी पर कांग्रेस दांव खेलना चाहेगी ।