
फागिंग में छोटे मशीन के साथ बड़ी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इसी तरह लार्वा कंट्रोल के लिए मैनुअल मशीन से नाला, जमे हुए पानी में दवा का छिड़काव हर रोज किया जा रहा है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
पिछले कुछ दिनों से पूरा शहर मच्छरों से परेशान है। मच्छरों की तादाद अचानक से बढ़ने की वजह से आम आदमी तो क्या निगम भी मच्छरों से निपटने में नाकाम है। खुद महापौर मच्छरों से निपटने के लिए कलेक्टर से गुहार लगा चुके हैं। हर तरफ से मच्छरों की शिकायत मिलने के बाद अब रोटेशन में हर दिन 8 वार्डों में फागिंग का कार्य किया जा रहा है
शहर में मच्छर के प्रकोप से नियंत्रण पाने निगम प्रशासन द्वारा हर रोज रोटेशन के तहत फागिंग करने के साथ मोहल्ले, नाली व जमा हुए पानी में लार्वा कंट्रोल दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। सुबह के समय नदी किनारे के वार्डों में तो शाम के समय अलग-अलग वार्डों में फागिंग व लार्वा कंट्रोल दवा का छिड़काव कराया जा रहा है।
शहर में मच्छर का प्रकोप बढ़ने की शिकायत रोज मिल रही है। इसे देखते हुए 12 फरवरी से लगातार हर रोज रोटेशन में शहर के अलग-अलग वार्ड व क्षेत्रों में फागिंग के साथ लार्वा कंट्रोल दवाई का छिड़काव कराया जा रहा है। इधर नदी किनारे बसे वार्डों में हर रोज सुबह के समय ही फागिंग के साथ लार्वा कंट्रोल दवाई का छिड़काव कराया जा रहा है। बुधवार को वार्ड नंबर 5 गांधी नगर, अमेंरी रोड, अयोध्या नगर, वार्ड क्रमांक 15 रानी लक्ष्मी बाई नगर तालापारा तालाब किनारे, वार्ड क्रमांक 25 गोड़पारा सुभाष नगर नदी के किनारे सांई मदिर क्षेत्र, वार्ड क्रमांक 35 टीकरापारा, इंदिरानगर, पुराना हाईकोर्ट के पीछे अटल आवास, वार्ड क्रमांक 45 विश्वकर्मा चौक चिंगराजपारा, अपोलो रोड, वार्ड क्रमांक 56 शारदा गैस गोदाम के पास कपिल नगर सरकंडा, वार्ड क्रमांक 31 नागोराव शेष स्कूल के पास जूना बिलासपुर नदी किनारे, वार्ड क्रमांक 32 नारियल कोठी दयालबंद, मधुबंद नदी के किनारे, वार्ड क्रमांक 22 सरजूबगीचा, मशानगंज आजाद नगर में फागिंग व लार्वा कंट्रोल दवा का छिड़काव कराया गया। फागिंग में छोटे मशीन के साथ बड़ी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इसी तरह लार्वा कंट्रोल के लिए मैनुअल मशीन से नाला, जमे हुए पानी में दवा का छिड़काव हर रोज किया जा रहा है। इसका असर भी नजर आने लगा है। पिछले दो-तीन दिनों से मच्छरों की संख्या में कुछ कमी आई है। वर्तमान में अधिकांश नालियां कवर कर दी गई है माना जा रहा है कि कवर की गई नालियों की नियमित सफाई ना होने से ही मच्छरों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है।