बिलासपुर

उज्ज्वला होम मामला:- महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के नाक के नीचे हो रही थी युवतियों और महिलाओं से ज़्यादती… क्या अब इस मामले के खुलासे के बाद जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई

रमेश राजपूत

बिलासपुर – महिला पुनर्वास केंद्र में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के मामले के बाद न्यायधानी में मानो सनसनी फैल गई थी, बिलासपुर के उज्जवला गृह में रहने वाली बेसहारा महिलाओं और युवतियों के साथ जानवरों जैसे सुलूक करने का आरोप यहाँ के संचालक के ऊपर लगा है। वही मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने संचालक जितेंद्र मौर्य को गिरफ्तार कर लिया है। पता नही यहाँ रहने वाली युवतियों और महिलाओं के साथ कब से यहाँ घिनौनी हरकत की जा रही थी।

उज्जवला होम को बंद करने केंद्र से की गई सिफारिश..

वही अब बिलासपुर जिले के उज्जवला होम महिला पुनर्वास केंद्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने और संचालक पर दुष्कर्म जैसे संगीन आरोप लगने के बाद पुनर्वास केंद्र को बंद करने केंद्र शासन से सिफारिश की गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसके लिए केंद्र शासन को पत्राचार किया है। महिलाओं व युवतियों के कल्याण के लिए संचालित उज्जवला गृह में हाल ही में सामने आई एक घटना ने संस्था की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। उज्जवला गृह में रहने वाली महिलाओं व युवतियों ने संस्था संचालक पर दैहिक शोषण और देह व्यापार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इस घटना ने महिला बाल विकास विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। क्योंकि विभाग के अफसर व उनकी टीम हर साल इसके निरीक्षण के लिए यहां पहुंचते रहे हैं। लेकिन हैरत की बात है यहां चलने वाले अनैतिक कृत्य कि उन्हें इससे पहले भनक तक नहीं लग सकी। विभाग के मुताबिक वर्ष 2018, 2019 और 2020 में उनकी टीम ने उज्ज्वला गृह का निरीक्षण किया था। बीते 17 जनवरी की रात भी टीम निरीक्षण के लिए गई थी। लेकिन अफसर यह मामला नहीं पकड़ सके। हालांकि पीड़ितो के कोर्ट में बयान के बाद अब जाकर मामले का पर्दाफाश हुआ है। जिसमें दुष्कर्म, छेड़खानी और प्रताड़ना जैसे गंभीर अपराध के आरोप संस्था और संचालक पर लगे हैं। बहरहाल पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी संचालक सहित अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी अब जाकर महिला पुनर्वास केंद्र को बंद कराने के लिए केंद्र शासन से सिफारिश की है। गौरतलब है कि हर साल उज्जवला महिला पुनर्वास केंद्र को शासन से 15 लाख रुपए का अनुदान मिलता था। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी निरीक्षण करते थे बावजूद इतनी बड़ी अव्यवस्था अधिकारियों के सामने नहीं आ सकी।

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