
बिलासपुर- जिले के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में गरीब मरीजो को उपचार की सुविधा तो उपलब्ध है लेकिन उपचार के लिए लगने वाली दवाओं की मार से उन्हें दोहरा आघात लग रहा है। खुलेआम शासन के निर्देशों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है, चिकित्सक जेनेरिक दवाओं के बदले ब्रांडेड दवा लिख रहे है और उसे बाहर की दवा दुकानों से खरीदना पड़ रहा है, जबकी उस दवा को बहुत ही कम कीमत पर खरीदा जा सकता है और रही बात जिला अस्पताल की तो वहाँ निःशुक्ल उपलब्ध कराया जाता है, फिर भी इन दिनों चिकित्सक ब्रांडेड दवाईयां ही लिख रहे। एक मरीज की शिकायत पर जब इसकी पुष्टि की गई तो यह वाकया कई के साथ सामने आया, जिसमें डॉक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची मरीज ने सामने रखी। जिला अस्पताल में बेहतर उपचार की आशा से जिले की विभिन्न क्षेत्रों से लोग पहुँचते है, जिन्हें उपचार के नाम पर ऐसे लुटा जा रहा है। जिला प्रशासन चाहे तो इस लूट पर लगाम लगा सकती है, इसके अलावा उच्च अधिकारी भी इसे संज्ञान में लेकर कोई ठोस कदम उठा सकते है, अब देखना होगा कि गरीबो की कौन सुनता है।
सामान्य जानकारी
सामान्य दवा या जेनेरिक दवा वह दवा है जो बिना किसी पेटेंट के बनायी और वितरित की जाती है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसके सक्रिय घटक पर पेटेंट नहीं होता। जैनरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होतीं तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्राण्डेड दवाईयाँ। यहाँ तक कि उनकी मात्रा, साइड-इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के जैसे ही होते हैं। जैनरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
ऐसे समझें
किसी रोग विशेष की चिकित्सा के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक तत्व/यौगिक विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस तत्व को अलग-अलग कम्पनियाँ अलग-अलग नामों बेचतीं है। जैनरिक दवाईयों का नाम उस औषधि में उपस्थित सक्रिय घटक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है।
आसानी से उपलब्ध
अधिकांश बड़े शहरों में जेनेरिक मेडिकल स्टोर होते हैं जहाँ केवल जेनेरिक दवाएँ ही मिलतीं हैं। लेकिन इनका व्यापक प्रचार नहीं होने से लोगों को इनका लाभ नहीं मिलता। किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर जो दवा लिखता है, ठीक उसी दवा के सॉल्ट वाली जेनेरिक दवाएं उससे काफी कम कीमत पर आपको मिल सकती हैं। कीमत का यह अंतर पांच से दस गुना तक हो सकता है। बात सिर्फ आपके जागरूक होने की है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश में लगभग सभी नामी दवा कम्पनियां ब्रांडेड के साथ-साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं भी बनाती हैं लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में डॉक्टर और कंपनियां लोगों को इस बारे में कुछ बताते नहीं हैं और जानकारी के अभाव में गरीब भी केमिस्ट से महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं।