
हंगामे के बीच सभापति ने बहुमत के आधार पर सभी प्रस्तावों के पारित होने की घोषणा करते हुए सभा समाप्त कर दी
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
शनिवार को बिलासपुर नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक हमेशा की तरह हंगामे के साथ खत्म हुई। इस बैठक में नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2019 और 20 का बजट भी पेश किया गया। इस बार सामान्य सभा में पेश 39 प्रस्तावों में से पेंशन से संबंधित लोकहित के एक से लेकर 31 तक के प्रस्ताव बिना बहस के ही पारित कर दिए गए। करीब 1 घंटे विलंब से आरंभ हुई सामान्य सभा के शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन ने एक अतिरिक्त प्रस्ताव पेश किया । पिछले दिनों नगर निगम के कुछ वार्डों का परिसीमन किया गया था, जिसे लेकर जनप्रतिनिधियों में खासा आक्रोश है। उनका मानना है कि बिना किसी जानकारी और जिम्मेदार पार्षदों की सहमति के घर में बैठकर यह परिसीमन किया गया है ,लिहाजा इसे रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेजे और वार्डों को यथावत रखा जाए। वार्डों का परिसीमन चुनाव के बाद ही तभी किया जाए जब बिलासपुर नगर निगम सीमा में अन्य प्रस्तावित 29 गांवों को भी शामिल कर लिया जाए। इस मुद्दे पर पार्षद शहजादी कुरैशी जमकर बरसी। 12 बज कर 8 मिनट पर प्रश्नकाल की शुरुआत हुई। लॉटरी में निकले नाम के आधार पर सबसे पहले भागीरथी यादव ने तालाब संबंधी अपना प्रश्न किया तो वही चंद्र प्रदीप बाजपेई ने वाटर हार्वेस्टिंग की जानकारी मांगी। महापौर किशोर राय ने बताया कि शहर में कुल 10 तालाब हैं जिनमें से अधिकांश की हालत बदतर है ,वहीं बिलासपुर में अब तक 2487 मकानों से वाटर हार्वेस्टिंग के लिए रकम जमा कराई जा चुकी है लेकिन उनमें से 1303 मकानों में ही वाटर हार्वेस्टिंग बना है ।इसके लिए निगम के पास 2 करोड़ 73 लाख 85 हज़ार से अधिक की रकम जमा है । इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। प्रश्नकाल में 11 पार्षदों को ही प्रश्न करने का अवसर मिला जिनमें तजम्मुल हक ,,ममता कश्यप, संजय गुप्ता, रमेश गुप्ता, दीपांशु अनीता श्रीवास, काशी रात्रि और शैलेंद्र जयसवाल शामिल रहे। लोक महत्व के अतिरिक्त प्रश्नों के दौरान बिलासपुर में मच्छरों की समस्या पर चर्चा हुई ।इस बीच बार बार नोक झोंक की स्थिति बनती रही ।
लंच ब्रेक के बाद साल 2019 -20 का बजट पेश किया गया। बजट अभिभाषण के दौरान महापौर किशोर राय ने बताया कि विगत वर्ष 2018 19 में निगम ने सात अरब 56 करोड़ 77 लाख 74 हज़ार का बजट पारित किया था तो वही साल 2019-20 के लिए 7 अरब 67 करोड़ 22 लाख 78 हजार रुपए का बजट पेश किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को भी अपनी उपलब्धि बताते हुए गिनाया, लेकिन अभिभाषण के अंत में पूर्व मुख्यमंत्री और शहर के पूर्व विधायक का नाम लेते ही कांग्रेसी पार्षद उखड़ गए और उन्होंने सदन में हंगामा मचाना शुरू कर दिया ।
हंगामे के बीच सभापति ने बहुमत के आधार पर सभी प्रस्तावों के पारित होने की घोषणा करते हुए सभा समाप्त कर दी। इससे कांग्रेसी पार्षदों का गुस्सा फूट पड़ा। असल में हुआ यह था कि लंच ब्रेक के बाद अधिकांश भाजपाई पार्षद सदन से चलते बने। जिस वक्त महापौर ने बजट अभिभाषण किया उस वक्त सदन में कांग्रेस के 23 और भाजपा के मात्र 18 पार्षद ही मौजूद थे ,यानी अगर वोटिंग कराई जाती तो भाजपा पार्षद दल की हार तय थी। इस हार से बचने के लिए ही महापौर और सभापति आनन फानन में सभा समाप्त कर परिसर से ही भाग खड़े हुए। इसे नियमों के विरुद्ध बताते हुए कांग्रेस ने मामले को हर स्तर पर ले जाने की चेतावनी दी है।
समा के समाप्त होने के बाद ही महापौर किशोर राय तुरंत अपनी कार में बैठ कर चलते बने । उनकी देखा देखी सभापति अशोक विधानी भी मीडिया से बातचीत किए बगैर ही चले गए, लेकिन थोड़ी देर बाद ही अपनी गलती का एहसास होने पर महापौर किशोर राय वापस लौट आए और उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए इस बात से साफ इंकार कर दिया कि सदन में भाजपा पार्षदों की संख्या उस वक्त कम थी और वोटिंग होने पर उनकी हार तय थी।
शनिवार का बजट मौजूदा महापौर किशोर राय के कार्यकाल का अंतिम बजट था। इससे पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं आई कि बजट या प्रस्ताव पास कराने के लिए सदन में वोटिंग की आवश्यकता पड़े, लेकिन राज्य में भाजपा की हार के बाद हर तरफ पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी पार्टी से दगा करते नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों हुई कार्यकर्ता सम्मलेन से भी कार्यकर्ताओं ने दूरी बना ली थी और शनिवार को भाजपा पार्षदों से इतना भी नहीं हुआ की समाप्ति तक वे सदन में बैठे रहे। अति आत्मविश्वास की वजह से सदन छोड़कर भाजपा पार्षदों का यू गायब हो जाना पार्टी की किरकिरी की वजह बना, इसीलिए सभापति ने वोटिंग नहीं कराई। लेकिन इसके बाद कांग्रेसी पार्षदों के हाथों एक मुद्दा भी लग गया ।सभा की शुरुआत में ही यह तय किया गया था कि सभा के अंत में पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी लेकिन भाजपा के पार्षद अपने नेताओं के साथ सदन से एक पल में गायब हो गए इसलिए उन्हें नकली देशभक्त बताते हुए कांग्रेसी पार्षदों ने सदन में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। कुल मिलाकर शनिवार का दिन नगर निगम में भाजपा पार्षद दल के लिए बेहद निराशाजनक रहा। हर मोर्चे पर उन्हें मुंह की खानी पड़ी। सत्ता जाते ही पार्टी के सभी सदस्यों का मनोबल इस कदर टूट चुका है कि वे बार-बार गलतियों को दोहरा रहे हैं।