
गोठान और चारागाह में लगेंगे उपयोगी वृक्ष- गोठानों में पशुओँ की सुरक्षा के लिये वर्तमान में तार की फेंसिंग लगाई गयी है
सत्याग्रह डेस्क
गनियारी में मॉडल गोठान बनकर तैयार हो गया है। गनियारी में बन रहे मॉडल गोठान से यहां के ग्रामीण उत्साहित हैं। गोठान सिर्फ पशुओं को आश्रय नहीं देगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी तेजी से विकसित करेगा। यहां ऐसा मैकेनिज्म तैयार किया जा रहा है जिससे रोजगार और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। ग्रामीणों का मानना है कि गोठान से ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ेगी। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के अंतर्गत बन रहे गोठानों में पशुओं के लिये चारा, पानी, छाया से लेकर उनके स्वास्थ्य से संबंधित प्रत्येक सुविधाएं मौजूद रहेंगी। गोठान बनाने का बड़ा उद्देश्य खेतों को पशुओं से होने वाले नुकसान से बचाना भी है। गांवों में पशु चारे की तलाश में फसलों का रुख कर लेते हैं और फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में गोठान किसान और पशुपालक दोनों को राहत देने का काम करेंगे।
बिलासपुर जिले के सात विकासखण्डों की 97 ग्राम पंचायतों में 109 गोठान का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इनमें से 37 गोठानों को मॉडल के रुप में विकसित किया जा रहा है। प्रथम चरण में 15 और दूसरे चरण में 20 मॉडल गोठान बनाई जाएंगी। गनियारी में मॉडल गोठान का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है।
मॉडल गोठान की खासियतें-
सभी तकनीकि सुविधाएं मौजूद
-गनियारी में बन रहे मॉडल गोठान में सभी तकनीकि सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर पशुओं को रखने के लिये 10 वर्ग फुट प्रति पशु की दर से अस्थाई शेड का निर्माण किया गया है। पशुओं के लिये चारा उत्पादन के लिये अलग स्थान की व्यवस्था की गई है। यहां पर हरे चारा का उत्पादन किया जाएगा। चारा की प्रोसेसिंग करके उसकी मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जाएगी। पानी के लिये सोलर पंपो की स्थापना की जा रही है। गोठान में पशुओं के लिये 15 लीटर पानी प्रति पशु के हिसाब से नाँद में उपलब्ध रहेगा।
तेजी से दौड़ेगी गांव की अर्थव्यवस्था –
गोठान से गांवों की अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ेगी क्योंकि इसमें प्रत्येक वर्ग के रोजगार का ध्यान रखा गया है। गोठान के संचालन का जिम्मा ग्राम गोठान समिति को दिया गया है। जिसमें उसी गांव के ग्रामीण शामिल रहेंगे। ये समिति चरवाहे की नियुक्ति करेगी। प्रत्येक गोठान में न्यूनतम दो और चारागाह क्षेत्र में एक चरवाहा की व्यवस्था की गई है। चरवाहों को कार्य आधारित मानदेय दिया जाएगा जो औसत 6 हजार रूपये प्रति माह तक रहेगा।
गोबर और गौमूत्र के पंचगव्य से भी होगी आमदनी-
गोठान में गोबर और गौमूत्र को भी व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। गोबर और गौमूत्र के पंचगव्य निर्माण की व्यवस्था की जाएगी। पंचगव्य तैयार करने का प्रशिक्षण ग्रामीणों को दिया जाएगा। जिससे उनकी अतिरिक्त आमदनी हो सके।
जैविक खेती को बढ़ावा-
गोठान निर्माण के उद्देश्यों में रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करना भी प्रमुख रूप से शामिल है। पशुओं के गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनायी जाएगी। कृषि विभाग ग्राम गोठान समिति से कंपोस्ट खाद को क्रय करके किसानों को उपलब्ध करायेगी और जैविक खाद के प्रयोग के लिये प्रेरित करेगी।
नस्ल सुधार और बीमारियों से सुरक्षा-
प्रत्येक गोठान में पशुओं की नस्ल सुधारने और बीमारियों से बचाने के लिये पशु चिकित्सक मौजूद रहेंगे। चार से पांच गोठानों के लिये पशु चिकित्सा सहायक शल्य और इनके ऊपर ब्लॉक लेवल पर नोडल अधिकारियों पर पशुओं की बीमारियों के इलाज की व्यवस्था की जिम्मेदारी रहेगी।
बॉयो फ्यूल से जलेंगे चूल्हे-
गोठान में सिर्फ पशु ही नहीं बल्कि ग्रामीणों की जरूरतों का भी ध्यान रखा गया है। यहां पशुओं के गोबर को उपयोग में लाने के लिये बॉयो फ्यूल प्लांट की स्थापना की जा रही है। गोबर गैस उत्पादन से गैस रीफलिंग और गांव में गैस सप्लाई की व्यवस्था की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया का संचालन भी स्व सहायता समूहों के हाथ में रहेगा जिससे स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिल सके।
गोठान और चारागाह में लगेंगे उपयोगी वृक्ष- गोठानों में पशुओँ की सुरक्षा के लिये वर्तमान में तार की फेंसिंग लगाई गयी है। आगे चलकर फेंसिंग के सपोर्टिंग पोल की जगह करोंदा, मेहंदी जैसे उपयोगी वृक्ष लगाये जाएंगे। इसके साथ ही चारागाह में चारा के अनुकूल पौधारोपण किया जाएगा। चारागाह में आम, अमरूद, मुनगा, सुबबूल, कुबबूल, नीम, पीपल आदि का पौधारोपण किया जाएगा।