छत्तीसगढ़बिलासपुर

बिलासपुर बढ़ रहा ज़ीरो डे की ओर, पानी के लिए पूरे शहर में त्राहि-त्राहि, आपातकाल जैसे हालात

यह सही नहीं है कि इसी शहर में हजारों लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हो और आप अपने घरों में मिल रहे पानी को व्यर्थ बहाए या फिर फिजूल के कामों में उन्हें बर्बाद करे

सत्याग्रह डेस्क

कभी बिलासपुर को पूरे प्रदेश में रहने के लिए सबसे अच्छा शहर इसलिए माना जाता था क्योंकि यहां भरपूर पानी मौजूद हुआ करता था। अरपा नदी को जीवनदायिनी इसलिए कहा जाता था क्योंकि पूरे शहर को इस अंतः सलिला ने जल की भरपूर सौगात दे रखी थी। लेकिन और अदूरदर्शी रणनीतिकारों की वजह से अरपा ने दम तोड़ दिया और धीरे-धीरे बिलासपुर शहर भी दम तोड़ता नजर आ रहा है । कैप टाउन की तरह बिलासपुर भी जीरो डे की तरफ बढ़ रहा है ।यह वो दिन होगा जब लोगों के घरों में नल से पानी पहुंचना पूरी तरह बंद हो जाएगा। यह बात कोई कपोल कल्पना नहीं है । पिछले साल की तुलना में इस साल पानी के लिए जिस तरह पूरे शहर में हाहाकार मचा है उससे यह दुःस्वप्न जल्द ही सच साबित हो सकता है । बिलासपुर शहर पूरी तरह भूगर्भ जल पर निर्भर है। पहले से कोई व्यवस्था ना करने की वजह से यहां की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। एक तरफ भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो रहा ,तो वही रेल नीर के साथ कई वाटर प्लांट बिलासपुर में मौजूद है जो बेहद गहराई से रोजाना बड़ी मात्रा में पानी खींच कर व्यवसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं । आम लोग इस वजह से अपने घरों में साधारण बोर से पानी प्राप्त नहीं कर पा रहे । अधिकांश वार्डों में नए बन रहे फ्लैट भी अधिक गहराई के बोरवेल से पानी खींच ले रहे हैं और लोगों के घरों में लगे बोर फेल हो रहे हैं। यहां तक कि निगम के भी अधिकांश बोर फेल हो चुके हैं। पहली मर्तबा ऐसा हुआ कि अरपा नदी के तट पर बसे वार्डों में भी बोर सूख चुके हैं।

नदी किनारे बसे चाटा पारा के निवासियों ने पहली बार पानी की समस्या देखी है। कुदुदंड क्षेत्र में भी इसीलिए पानी टंकी बनाया गया था क्योंकि यहां कभी पानी की कमी नहीं होती थी, लेकिन इस बार एक-एक कर सारे बोर फेल होने लगे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं है जब अलग अलग क्षेत्रों से लोग नगर निगम पहुंचकर पानी की मांग नहीं कर रहे। जिन घरों में अपना निजी बोर हुआ करता था उन घरों से भी इस बार नगर निगम के नल के कनेक्शन मांगे जा रहे हैं, लेकिन नगर निगम भी सामान्य से आधे पानी की ही सप्लाई कर पा रहा है। बात चाहे सरजू बगीचा की हो, चाटा पारा, कुदुदंड या टिकरापारा। हर तरफ बोर फेल हो चुके हैं । जहाँ नगर निगम को टैंकर भेजकर पानी की सप्लाई करनी पड़ रही है। एक तरफ तो इस गर्मी के मौसम में पानी की जरूरत बढ़ गई है। वहीं इस मौसम में ही पानी ना मिलने से लोगों की समस्या दुगनी हो चुकी है। पीने तक को पानी नहीं मिल रहा,फिर नहाने, धोने और कूलर में पानी डालने की क्या कहें। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद बुधवार को निगम के जल विभाग की कार्यवाही का जायजा लेने महापौर किशोर राय निगम के पंप हाउस पहुंचे । यहां उन्होंने खुद अपनी निगरानी में अलग-अलग वार्डो में टैंकर भेजा । वहीं कर्मचारियों और अधिकारियों से हालात की जानकारी ली । पंप हाउस में रोजाना खराब सबमर्सिबल पंप पहुंच रहे हैं ,वही पुराने सूख चुके बोर को अधिक गहरा करने की मांग भी आ रही है । अब तक यह माना जाता था कि रेलवे क्षेत्र में कभी पानी की कमी नहीं होती, लेकिन इस बार खुद को नगर निगम से हमेशा अलग मानने वाले रेलवे ने भी नगर निगम से पानी की मांग की है ।खुद डीआरएम ने इस मुद्दे पर महापौर से बात की और रेलवे क्षेत्र के लिए पानी की व्यवस्था करने को कहा।

स्पष्ट है कि इस बार प्रकृति ने अंतिम चेतावनी दी है ।अगर इस साल भी कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले सालों में बिलासपुर में कितनी भी तरक्की की जाए सब बेअसर साबित होगी । पानी के बगैर ना विकास का कोई अर्थ होगा ना ही स्मार्ट सिटी के कोई मायने रह जाएंगे। नगर निगम का है दावा है कि अगले वर्ष तक मिशन अमृत योजना के तहत अहिरण नदी का पानी खुटाघाट बांध के जरिए बिलासपुर तक लाया जाएगा और पानी की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। लेकिन यह योजना भी हवा हवाई नजर आ रही है। जानकार मानते हैं कि खूंटाघाट बांध में इतना पानी नहीं होता, जिससे बिलासपुर जैसे बड़े शहर की जरूरत वर्ष भर पूरी हो सके । योजना के तहत नगर निगम को करना होगा कि सामान्य दिनों में भूगर्भ जल की सप्लाई करें और पानी को गर्मी के मौसम के लिए संचित रखे।साथ ही पूरी सख्ती से वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था को लागू किया जाए। बड़ी संख्या में पेड़ लगाएं। व्यवस्था ऐसी हो कि वर्ष भर अरपा नदी में पानी रहे। नालियों का नहीं बल्कि नदी का पानी सुरक्षित रहें। तभी चेकडैम का भी इस्तेमाल हो सकेगा।। वर्तमान में नदी में नालियों का पानी मिलने की वजह से चेक डैम का सदुपयोग नहीं हो रहा। कुल मिला कर किसी एक योजना से यह समस्या हल नहीं होगी। सभी बिंदुओं पर समुचित ध्यान देते हुए युद्ध स्तर पर बरसात में काम करना होगा तभी ऐसे हालात से बचा जा सकेगा और बिलासपुर पर जीरो डे का मंडरा रहा खतरा टल सकेगा। इसमें नगर निगम और जिला प्रशासन के साथ आम नागरिक की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होगी और नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास अभी से होना चाहिए। जरूरी नहीं है कि आप जल का बचाव तभी करें जब आप जल संकट से होकर गुजरे ।

यह सही नहीं है कि इसी शहर में हजारों लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हो और आप अपने घरों में मिल रहे पानी को व्यर्थ बहाए या फिर फिजूल के कामों में उन्हें बर्बाद करें।

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