
डेस्क
आगामी निकाय चुनाव के लिए महापौर नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष के पद का आरक्षण 18 सितंबर को होगा जिस पर सभी टकटकी लगाए हुए हैं इसी के साथ आगामी निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो जाएंगी रतनपुर नगर पालिका में भी सभी संभावित प्रत्याशियों की निगाह आरक्षण पर टिकी हुई है जिसके बाद नए सिरे से रणनीतियां तय होगी और नए दावेदार सामने होंगे। इस बार त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन सकती है । वैसे तो मुख्य मुकाबला हर बार की तरह भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच होना है लेकिन इस बार जनता कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी खेल बिगाड़ सकती है । अगर हम इतिहास में झांके तो यहां साल 1980 में अध्यक्ष का पद मनोनयन से पूरा किया गया था साल। 1998 से 2003 तक रमेश सूर्या नगर पालिका के अध्यक्ष थे। उस समय बिना राष्ट्रीय पार्टी के चिन्ह के बगैर ही चुनाव हुआ था। प्रत्याशी अपने साख के बल पर चुनाव जीते थे। 2003 से 2005 तक प्रशासक ही अध्यक्ष थे ।वहीं 2005 में हुए चुनाव में भाजपा की कौशल्या मंडलोई के सर जीत का सेहरा बंधा था। हालांकि 2005 के चुनाव में भी त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति देखी गई थी। निर्दलीय प्रत्याशी पुष्प लता बाजपेई में भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी थी। 2010 के नगर पालिका चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के घनश्याम रात्रे अध्यक्ष बने और उनका चर्चित कार्यकाल रहा, लेकिन 2015 में हुए चुनाव में कांग्रेस की आशा सूर्यवंशी अध्यक्ष चुनी गई लेकिन इसी के साथ लंबे विवादों का सिलसिला भी आरंभ हो गया।
अगर हम साल 2015 में हुए चुनाव के दौरान मुकाबले की बात कहे तो आशा सूर्यवंशी के खिलाफ भाजपा ने कौशल्या मंडलोई को उतारा था लेकिन यहां कॉन्ग्रेस के पक्ष में मतदाताओं ने रुझान दिखाया । रतनपुर नगर पालिका में कुल 15 वार्ड हैं और यहां मतदाताओं की संख्या करीब 18500 है फिलहाल यहां नगर पालिका में छह भारतीय जनता पार्टी के, सात कांग्रेस के और दो निर्दलीय पार्षद है यानी मुकाबला कांटे का है। अगर हम नगर पालिका के चुनाव में रुझान के लिए विधानसभा के चुनाव के नतीजों की ओर झाकेंगे तो साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 15 वार्ड में जनता कांग्रेस को 2,000 से कुछ ही अधिक वोट मिले थे ।वही आम आदमी पार्टी को मिले वोटों की संख्या 15 सौ के करीब थी। हालांकि इस बीच हुए घटनाक्रम में जोगी कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हुई है। वही आम आदमी पार्टी हाशिए पर जाती नजर आ रही है। फिर भी ऐसा माना जा रहा है कि रतनपुर नगर पालिका में आम आदमी पार्टी अपेक्षाकृत मजबूत है ।इसलिए चुनाव के परिणामों में इसका व्यापक असर पड़ सकता है। वर्तमान में भी कोटा विधानसभा से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की विधायक रेणु जोगी हैं लेकिन कोटा विधानसभा के रतनपुर क्षेत्र से सबसे कम वोट उन्हें मिले थे। इस बार प्रदेश की सरकार बदल चुकी है, इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लिए वापसी की राह आसान नहीं होगी लेकिन सारा दारोमदार प्रत्याशी चयन पर निर्भर करेगा। कई संभावित प्रत्याशी अभी से सक्रिय नजर आ रहे हैं और रायपुर से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगाई जा रही है। कई नाम उभर कर सामने आ भी रहे हैं और ओझल भी हो रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले सप्ताह में स्थिति काफी कुछ स्पष्ट हो जाएगी। वही रतनपुर मैं बैठक के दौरान इन दिनों चर्चा का विषय आगामी चुनाव ही है। और लोग प्रत्याशियों को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। प्रत्याशी भी अपने स्तर पर गुणा भाग करते देखे जा रहे हैं।