जुगनू तंबोली
रतनपुर – हम आपको सावन के इस पावन महीने के दूसरे सोमवार को एक ऐसे अदभूत,अलौकिक,और रहस्यमय शिवलिंग के बारे में बताने और दर्शन कराने जा रहे है जिसके दर्शन मात्र से आपका रोम रोम शिवमय हो जायेगा। ये शिव मंदिर धार्मिक नगरी रतनपुर में स्थित है। जिसको रत्नेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
रत्नेश्वर महादेव का मंदिर रतनपुर के करैहापारा में रत्नेश्वर तालाब के किनारे स्थित है। रतनपुर में अपनी राजधानी बनाने वाले प्रथम कलचुरी राजा रत्नदेव या रत्नराज द्वारा स्थापित तथा पूजित होने के कारण इसे रत्नेश्वर महादेव कहा जाता है।
महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है
किंवदंती के अनुसार राजा रत्नदेव की रानी कश्मीर की थी। वह रतनपुर पर आते समय कश्मीर की एक मुट्ठी बालू अपने साथ ले आई थी जो रास्ते में शिवलिंग के रूप में परिवर्तित हो गया था। जिसे रत्नेश्वर तालाब के बीच में स्थित चबूतरे में प्रतिष्ठापित किया गया था। किंवदंती के अनुसार रानी वेद मती प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में पुराईन के पत्तों (कमल फूल के पौधे के पत्ते) पर चलकर भगवान शिव का पूजन करने जाती थी किंतु एक दिन राजारत्न के द्वारा प्रजा पर अधिक कर लगा देने से पूराइन पत्ते डूबने लगे।
दूसरी किंवदंतीअनुसार कालांतर में उक्त शिवलिंग को एक चूड़ी बनाने वाले लाख कूटने के लिए अपने घर ले गया था किंतु दूसरे दिन वह अपनी पुरानी जगह पर मिला इस चमत्कार से अभिभूत होकर लोगों ने भगवान रत्नेश्वर महादेव की पुनः स्थापना की। यह शिवलिंग अपने स्थापना काल से ही बढ़ रहा है। रानी वेदवती द्वारा एक मुट्ठी बालों से बनाया गया शिवलिंग आज विशाल रूप धारण कर लिया है इसकी महिमा निराली है तथा भगवान शिव का यह रूप प्रत्यक्षदर्शी है। सावन माह में यहां लोगों का तांता लगा रहता है मंदिर के पास ही अनेक मठ एवं मंदिर हैं जो काफी प्रचलित जो काफी प्राचीन प्रतीक होते हैं