
हजारों किलोमीटर का सफर तय कर इस बार रोजी स्टर्लिंग पक्षी बिलासपुर पहुंची है। सरकंडा साइंस कॉलेज के पास हर शाम इनकी कला बाज़ियो को देखने बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
इन दिनों सरकंडा इलाके में रोज शाम लोग एयर शो देखने के लिए जुट जाते हैं। बिलासपुर में इस एयर शो की एक झलक पाने लोग घंटों इंतजार करते हैं। दरअसल इस बार प्रवासी रोजी स्टर्लिंग पक्षी सरकंडा साइंस कॉलेज के पास डेरा जमाने पहुंची है। पिछले कुछ साल तक यह परिंदे सकरी के पास बेलमुंडी में तालाब किनारे डेरा डाला करती थी, लेकिन इस बार जाने ऐसा क्या हुआ कि इन प्रवासी पक्षियों ने सरकंडा इलाके का रुख किया। यहाँ भी एक छोटा सा जलकुंड है ,जिस के आसपास के पेड़ों में इन प्रवासी पक्षियों ने अपना आशियाना बनाया हुआ है । इनकी लयबद्ध उड़ान को देख लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं । हजारों की संख्या में एक साथ उड़ान भरने के दौरान भी यह आपस में नहीं टकराते। समन्वय की अनूठी मिसाल पेश करते इन खूबसूरत कलाबाज़ी को देखने का लोभ लिए लोग यहां हर शाम जुट रहे हैं। शाम को अपने ठिकाने में वापसी से पहले यह परिंदे लयबद्ध तरीके से घंटों कलाबाजीयों का करतब दिखाते है। जब ये पेड़ों पर बैठती हैं तो पेड़ों पर पतियों की जगह सिर्फ पंछी ही पंछी नजर आते हैं । इन्हें स्थानीय भाषा में गुलाबी मैना कहा जाता है। सबसे पहले पहल साल 2013 में प्रवासी पक्षी बेलमुंडी पहुंचे थे। पश्चिमी एवं मध्य एशिया और यूरोप से हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर यह परिंदे हर साल गर्मी से पहले यहां पहुंच जाते हैं । इस साल इन्होंने बिलासपुर में अपना बसेरा बनाया है। पक्षियों के जानकारों का कहना है कि पिछली बार बेलमुंडी में कुछ शिकारियों ने उन पर हमला किया था जिस वजह से उन्होंने अपना प्रवास बदल लिया। वैसे इससे पहले भी 2014 में ऐसा हुआ था कि परिंदे बेलमुंडी नहीं पहुंचे थे, लेकिन फिर 2015 में ये बेलमुंडी पहुंच गए थे। स्वभाव से बेहद संवेदनशील गुलाबी मैना खतरा भाव अपना ठिकाना बदल लेते हैं। शायद इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ है, लेकिन इसी वजह से बिलासपुर के पक्षी प्रेमियों को गुलाबी मैना को करीब से देखने का अवसर मिल गया है। शाम होते ही खूबसूरत परिंदों की चहचहाहट और कला बाजिया सुनते और देखते बनती है। पक्षियों के खास जानकार और वाइल्ड फोटोग्राफी के शौकीन यहां हर शाम पहुंच रहे हैं तो वहीं उन लोगों की संख्या भी कम नहीं है जिन्हें पक्षियों के बारे में खास जानकारी तो नहीं है लेकिन फिर भी कुदरत के करिश्मे को देखने का आकर्षण लिए वे भी खींचे चले आते हैं।
जब रोजी स्टर्लिंग या फिर गुलाबी मैना एक साथ समूह में उड़ान भरते हैं तो ईनकी कला बाजियां देखते ही बनती है। हर वर्ष प्रवास के कुछ महीने इस क्षेत्र में बिताकर ये परिंदे एक बार फिर अपने इलाके में लौट जाएंगे। यहां प्रवासी पक्षी ऊंची ऊंची घास में या फिर पेड़ों के ऊपर रह रहे हैं। हर बार देखा गया है कि ये परिंदे जलकुंड या तालाब के आसपास ही अपना ठिकाना बनाते हैं। मजे की बात यह है कि इन्हीं प्रवासी पक्षियों की वजह से बिलासपुर वन मंडल बेलमुंडी में 47 लाख रुपए से खर्च कर व्यूप्वाइंट बनाने की व्यवस्था कर रहा था, लेकिन उन्हें भी परिंदों के मिजाज का कुछ पता नहीं रहता कि कब ये अपना ठिकाना बदल ले। कभी कोपरा जलाशय को पसंद करने वाले रोजी स्टर्लिंग की पसंदीदा जगह इन दिनों बिलासपुर साइंस कॉलेज के पीछे का हिस्सा है । यहां भी पलाश, गूलर और बरगद के पेड़ होने से उनके विश्राम के लिए यह बेहतर ठिकाना बना है ।रोजी स्टर्लिंग असल में मैना और गौरैया परिवार की सदस्य है। गुलाबी शरीर, पीले नारंगी पर और चमकदार काले रंग के सर की वजह से यह बेहद आकर्षक लगते हैं ।आमतौर पर यह खुले मैदान और कृषि भूमि में रहते हैं। ठंड के मौसम में भारत और ट्रॉपिकल एशिया में प्रवास करते हैं। ये समूह में रहने वाले परिंदे हैं, इनके समूह में 10 से लेकर 1000 तक पक्षी शामिल होते हैं। आमतौर पर यह कीट पतंग, लारवा के साथ फल, फूल के पराग और मकरंद खाते हैं। इन्हीं परिंदों की वजह से इन दिनों सरकंडा साइंस कॉलेज के पीछे का इलाका हर शाम गुलजार हो रहा है।